अगर पहले के आंकड़ों की बात करें तो आयुष्मान कार्ड के तहत कोविड का इलाज कराने वाले नागरिकों की संख्या कई राज्यों में बहुत ही कम है. इससे संबंधित जब एक आरटीआई से जानकारी ली गई तो नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) ने जो जानकारी दी वो एक तरह से निराश करने वाली है और हमारे राज्यों की कार्यप्रणाली पर तो सवाल खड़े करती ही है.
राज्यों से जुड़ी बड़ी जानकारी
बात अगर बिहार की जाए तो यहां सिर्फ 19 लोगों को आयुष्मान कार्ड से कोविड इलाज मिला वहीं उत्तर प्रदेश में 875 को आयुष्मान भारत योजना से कोविड मरीजों को इलाज मिला. इस तरह से प्रधानमंत्री की गरीबों को इलाज मुहैया कराने वाली इस योजना की एक बुरी तस्वीर ही सामने आई है. कोरोना महामारी देश की सबसे बड़ी महामारी के रूप में सामने आई. इसके महंगे इलाज ने भी एक समस्या खड़ी कर दी लेकिन आमजन को आयुष्मान कार्ड से इलाज मिलने की उम्मीद थी लेकिन आंकड़े इतने कम हैं इससे निराशा ही मिलती है.
दोनो लहरों से संबंधित आंकड़ो पर मांगी गई थी जानकारी
जानकीर ये मांगी गई थी कि कोरोना की दोनो लहर के दौरान देश के अलग अलग राज्यों में आयुष्मान भारत योजना के तहत दिए गए हैल्थ कार्ड से कितने लोगों ने इलाज कराया. नैशनल हैल्थ प्राधिकरण की तरफ से जानकारी मिली कि कुल 23.78 लाख मरीजों (जिसमें 17.73 लाख मरीज टेस्टिंग और 6.05 लाख लोग इलाज के लिए) को फ्री टेस्टिंग और इलाज के लिए आयुष्मान योजना के तहत भर्ती किया गया था और ये आंकड़ा जून के पहले महीने का है.
अब राज्यवार ये जानकारी दी गई जिसके तहत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया गया. जबकि पंजाब, गुजरात और दमन में एक भी मरीज का कोविड इलाज इस योजना के तहत नहीं किया गया. कुल मिलाकर 10 राज्यों में एक भी कोविड मरीज को इलाज इस योजना के तहत नहीं दिया गया.
योजना का नहीं पहुंचाया जा सका लाभ
देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में 1538 टेस्टिंग के सापेक्ष इस योजना से सिर्फ 975 मरीजों को ही इलाज मिला, बिहार में 19 लोगों को इलाज मिला और 105 लोगों को इस स्कीम से टेस्टिंग की सुविधा मिली, झारखंड में आयुष्मान भारत स्कीम से 27 टेस्ट हुए.
इसलिए शुरू की गई थी योजना
देश में गरीबों को फ्री और गुणवत्ता वाला इलाज दिलाने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की गई थी जिसमें कार्ड धारक को पांच लाख तक के इलाज की फ्री सुविधा दी गई थी. इसी बीच देश ने दो बार कोरोना का कहर झेला जिसमें गरीबों के सामने इलाज की समस्या सामने आई. कार्ड से इलाज मिलने की सुविधा तो थी लेकिन राज्यों की लापरवाही से इससे लाभ उठाने वाली की संख्या न के बराबर ही रही.
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