केजरीवाल सरकार पर उठ रहे हैं सवाल- कैसे घाटे में डूबा मुनाफा कमाने वाला दिल्ली जलबोर्ड?
आरटीआई के जवाब में दिल्ली जल बोर्ड के घाटे में जाने के बाद दिल्ली की अरविंद केजरवीला सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. यह बोर्ड फायदा कमाने के लिए जाना जाता रहा है.
नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने से पहले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड को एक मुनाफा कमाने वाला बोर्ड बताया था. तब की उनकी राजनीति के हिसाब से इसका मकसद ये होना चाहिए था कि ये नो प्रॉफिट नो लॉस थ्योरी के तहत काम करे. उनके हिसाब से इस बोर्ड का गठन मुनाफा कमाने के लिए नहीं बल्कि जनता को फायदा और सुविधा पहुंचाने के लिए किया गया था.
केजरीवाल के जल मंत्री बनते ही घाटे में गया बोर्ड लेकिन अब उसी दिल्ली जल बोर्ड को लेकर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि केजरीवाल के जल मंत्री बनते ही बोर्ड घाटे में चला गया है. यह सवाल खड़ा हुआ है उस आरटीआई के सामने आने के बाद जिसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान दिल्ली जल बोर्ड को करीब 533 करोड़ का घाटा हुआ, वही वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान अनुमानित घाटा करीब 275 करोड़ का रहा. इस हिसाब से पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान यह घाटा 800 करोड़ से ज्यादा का है.
कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर केजरीवाल को घेरा आरटीआई का जवाब सामने आने के बाद केजरीवाल सरकार में ही पूर्व जल मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने इसको केजरीवाल की नाकामी और इसको एक घोटाला करार दिया है. कपिल मिश्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो भी पोस्ट किया है. यह वीडियो पिछले साल का है जब दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में बजट स्पीच के दौरान बताया था कि दिल्ली जल बोर्ड की आय 178 करोड़ रुपये बढ़ी है.
8 March 2017 -Budget Speech Water Minister - Kapil Mishra Increase in Water Tarif - ZERO Extra Revenue of Jal Board - ₹178 Cr
May 2018 - RTI Response Water Minister - Arvind Kejriwal Increase in water tarif - 20% Loss of Jal Board - ₹ 800 Crores pic.twitter.com/WErrp1JLiP — Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) June 5, 2018
दो सालों में घाटा करोड़ों में पहुंच गया सामने आई आरटीआई में जानकारी दी गई है कि वित्तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में जल बोर्ड का घाटा शून्य था. जबकि अगले दो सालों में यह घाटा करोड़ों में पहुंच गया. हालांकि, दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया का दावा है कि आरटीआई में इसके साथ ही एक और जानकारी दी गई जिसके मुताबिक इस घाटे की वजह सातवें पे कमीशन को लागू करना है. आपको बता दें कि इसी घाटे को कम करने के लिए पिछले साल दिसंबर महीने में पानी के दामों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.
आरटीआई वाले के हैं अपने तर्क आरटीआई लगाने वाले संजीव जैन दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया कि इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. संजीव जैन के मुताबिक हर साल बजट में दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों की तनख्वाह देने का प्रावधान होता है और वो पैसा दिल्ली जल बोर्ड को दिल्ली सरकार से तनख्वाह के मद में मिल जाता है. ऐसे में सावल ये है कि ये घाटा कैसे हुआ?
आखिर घाटे में कैसे गया बोर्ड बताते चलें कि केंद्र सरकार ने साल 2016 में सातवां पे कमीशन लागू करने की अधिसूचना जारी की थी और उसी के बाद सितंबर 2016 से दिल्ली जल बोर्ड में भी कर्मचारियों और अधिकारियों को सातवें पे कमीशन के आधार पर तनख्वाह मिलनी शुरु हो गई थी. इसी को दिल्ली जल बोर्ड इस घाटे की वजह बताया जा रहा है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि केजरीवाल के सत्ता में आने से पहले जो जल बोर्ड मुनाफा कमाता था आखिर अब वो मुनाफा गया कहां?
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