नई दिल्लीः संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की शुरुआत नारों से हुई. गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के विरोध में कांग्रेस के सासंद नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए. स्पीकर समझाते रहे लेकिन कांग्रेस सासंद नहीं माने. एनसीपी और डीएमके सांसदों ने भी कांग्रेस का साथ दिया. नारेबाजी के बीच स्पीकर ने जैसे ही सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को बोलने का मौका दिया उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि 1991 से 2019 के दौरान एनडीए सरकार एक बार नहीं दो बार थी लेकिन गांधी परिवार से एसपीजी कवर कभी नहीं हटाया गया, क्या हो गया इन लोगों को और अचानक गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा क्यों हटा ली गई.


आज सुबह कांग्रेस सांसद माणिक टैगोर, गौरव गोगोई, के सुरेश और अधीर रंजन चौधरी ने एसपीजी के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव भी दिया था लेकिन ये प्रस्ताव स्पीकर ने खारिज कर दिया और इसी को आधार बनाकर बीजेपी ने अधीर रंजन चौधरी के बयान का विरोध किया. स्पीकर ने जब अधीर रंजन को इस मुद्दे पर आगे बोलने नहीं दिया तो कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.


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क्या है पूरा मामला
8 नवबंर को केंद्र सरकार ने गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा हटाकर Z+ सुरक्षा देने का फैसला किया था. आज सोनिया गांधी जब संसद पहुंची तो उनके साथ सफारी सूट में सिर्फ एक सुरक्षाकर्मी मौजूद था जिसे संसद के गेट पर ही रोक दिया गया. इससे पहले सोनिया गांधी कहीं भी जाती थीं तो उनके साथ एसपीजी का लंबा चौड़ा-सुरक्षा घेरा रहता था. एसपीजी जवान उनकी निगरानी में परछाई की तरह रहते थे लेकिन आज सबकुछ बदला हुआ था और कांग्रेस ने इसे नाक की लड़ाई बना ली है.



कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से जब ये कहा गया कि सरकार की दलील है कि गांधी परिवार ने एसपीजी सुरक्षा की अनदेखी की है तो उन्होंने कहा कि ये फालतू की बात है. सरकार हमें बताए कहां गलती हुई है. ये बदले की राजनीति के अलावा कुछ नहीं है.


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सरकार का पक्ष
सरकार ने जिस दिन गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा हटाने का ऐलान किया था उसी दिन एक आंकड़ा भी जारी किया था जिसके मुताबिक सोनिया गांधी ने 2015 से 2019 के बीच 50 बार गैर बुलेटप्रूफ गाड़ी से दिल्ली में सफर किया. इस दौरान राहुल गांधी ने 1892 मौकों पर गैर बुलेटप्रूफ गाड़ी में सवारी की जबकि प्रियंका ने दिल्ली के अंदर आने-जाने के लिए 339 बार गैर बुलेटप्रूफ गाड़ी का इस्तेमाल किया.


पांच सालों में सोनिया गांधी 13 मौकों पर बिना तय कार्यक्रम के देश में अलग-अलग जगहों पर गईं, और बुलेट प्रूफ गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया. 247 मौके ऐसे थे जब राहुल गांधी बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी के दिल्ली से बाहर गए. एसपीजी की सलाह के बाद भी 64 बार बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी में प्रियंका गांधी दिल्ली से बाहर भी गईं.


2015 से अब तक सोनिया गांधी 24 बार विदेश दौरों पर गईं लेकिन एसपीजी नहीं ले गईं. 1991 के बाद राहुल ने 156 विदेशी दौरे किए जिसमें 143 बार अपने साथ एसपीजी सुरक्षा नहीं ले गए. 1991 के बाद प्रियंका गांधी ने 99 विदेशी दौरे किए हैं. 78 बार वो बिना एसपीजी सुरक्षा के गईं है.



गांधी परिवार को 15 अक्टूबर 1991 से एसपीजी सुरक्षा मिली
राजीव गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार को 15 अक्टूबर 1991 से एसपीजी सुरक्षा मिली थी. तब से सोनिया गांधी कहीं भी जाएं वो एसपीजी की कड़ी निगरानी में रहती थीं. राहुल गांधी किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लें एसपीजी की सुरक्षा घेरे के बीच ही रहते थे और 28 सालों से प्रियंका भी एसपीजी के घेरे में ही महफूज रहती थीं. हर साल ये सुरक्षा बढ़ती गई और अब 28 सालों बाद जब सरकार ने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाकर उसे Z+ में बदल दिया है


एसपीजी और Z+ सुरक्षा श्रेणी
एसपीजी किसी भी वीवीआईपी को मिलने वाली सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर होता है और जेड प्लस देश की दूसरी सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी है. एसपीजी में विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के चुने हुए जवान होते हैं जिनकी संख्या गोपनीय रहती है, और जरूरत के हिसाब से बढ़ती या घटती है. वहीं Z+ सुरक्षा में 36 जवान होते हैं, जिनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो, सीआरपीएफ, सीआईएसटी और पुलिस के जवान होते हैं. एसपीजी और Z+ दोनों ही सुरक्षा श्रेणियों के काफिले में एक जैमर गाड़ी भी होती है जो मोबाइल सिग्नल जाम करने का काम करती है.


अभी सिर्फ पीएम मोदी के पास एसपीजी सुरक्षा है. अप्रैल 2017 तक देश में 26 लोगों को जेड प्लस सुरक्षा मिली थी और पीएम के अलावा पूर्व पीएम और उनके परिवार को एसपीजी सुरक्षा मिलती थी. जबकि Z+ सुरक्षा उपराष्ट्रपति, पूर्व पीएम, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट जज, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रियों को मिलती है.


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सीआरपीएफ की वीवीआईपी-सिक्योरिटी यूनिट में अधिकतर वही कमांडो होते हैं जो पहले एसपीजी में रह चुके हों. क्योंकि एसपीजी में भी सीआरपीएफ और दूसरे केन्द्रीय सुरक्षाबलों के जवान ही छह साल की डेप्यूटेशन पर कार्यरत होते हैं. एसपीजी का अपना कोई कैडर नहीं होता है. इसमें भी करीब 30 प्रतिशत जवान सीआरपीएफ के ही होते हैं. बाकी बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी इत्यादि से आते हैं.


पहले भी हुई है सुरक्षा में चूक
आजादी के बाद महात्मा गांधी पर हमला हुआ, उसके बाद भी उन्होंने सुरक्षा लेने पर ऐतराज जताया और आखिर में उनकी हत्या हो गई. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की सुरक्षा से सिख सुरक्षाकर्मियों को हटाए जाने की बात कही गई थी. इंदिरा नहीं मानीं और 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या हो गई. 1991 में राजीव गांधी को एसपीजी सुरक्षा नहीं मिली और 21 मई 1991 को मानवबम से उनकी हत्या कर दी गई. इसलिए कांग्रेस गांधी परिवार के लिए एसपीजी सुरक्षा हटाने का विरोध कर रही है.


एसपीजी और Z+ सुरक्षा श्रेणी के पास हथियार
हालांकि किसे कौन सी श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी इसकी एक तय प्रक्रिया है. यहां ये जान लीजिए कि दोनों ही सुरक्षा श्रेणियों में हथियारों के मामले में भी ज्यादा अंतर नहीं है. एसपीजी जवान के पास ईयरप्लग, टैक्टिकल चश्मे, बुलेट प्रूफ जैकेट, P-90 और F2000 असॉल्ट गन और कॉम्बेट जूते होते हैं. जबकि Z+ श्रेणी के सुरक्षाकर्मी के पास इजरायल में बनी X-95,AK-47 और जर्मन मेड सबमशीन गन MP-5 होती है


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गृह मंत्रालय ने गांधी परिवार और मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी के लिए नए प्रोटोकॉल की जानकारी राज्यों से साझा की है जिसके तहत गांधी परिवार को जहां भी जाना होगा उससे 24 घंटे पहले सीआरपीएफ कमांडो मोर्चा संभाल लेंगे खुफिया और पुलिस मशीनरी भी सीआरपीएफ के साथ मिलकर सुरक्षा देगी.


देश के हर नागरिक को उस पर ख़तरे के हिसाब से सुरक्षा देना सरकार की ज़िम्मेदारी है. सरकार ने गांधी परिवार पर खतरे का जायज़ा लेने के बाद ही एसपीजी सुरक्षा हटाने का फ़ैसला लिया होगा. इस तरह के मामलों में राजनीति नहीं की जाती और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन से पहले कांग्रेस को ये भी सोचना चाहिए कि अगर बदले की भावना से ही सरकार को फ़ैसला लेना होता तो मोदी सरकार पिछले 5 साल से ज़्यादा समय से सत्ता में है.