Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (8 नवंबर, 2024) को जैसे ही ये आदेश दिया कि फिलहाल एएमयू का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रहेगा, तुरंत ही एएमयू में मिठाइयां बंटनी शुरू हो गई. लोग खुश हो कर एक दूसरे को बधाई देने लगे. वहीं, अलीगढ़ के बीजेपी एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने इस फैसले पर विवादित बयान दिया है.
यूनिवर्सिटी के मेन गेट बाब-ए-सैयद पर छात्र, प्रोफेसर और कर्मचारी जुटने लगे. मामला संवेदनशील होने के कारण सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले एएमयू के दोनों गेटों यानी शताब्दी द्वार और बाब-ए-सैयद पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई थी. लेकिन फैसला यूनिवर्सिटी के पक्ष में आने के बाद खुशियाँ मनाने के लिए कर्मचारी और छात्र जुटने लगे और सुरक्षा में ढील दी गई.
एएमयू के भीतर पटाखे छोड़े गए और बांटे गए लड्डू
फैसले बाद लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांट रहे थे कि तभी पटाखों की आवाजें आने लगीं. पुलिस बल ने तुरंत ही मौके पर पहुंच कर पटाखा जलाने वालों को मौक़े से हटने के लिए कहा और पटाखे ना जलाने की गुज़ारिश की. हालांकि बड़ी तादाद में खुशियाँ मनाने वालों के मूड को देखते हुए पुलिस ने कोई सख्ती नहीं बरती.
चीफ प्रॉक्टर और मुख्य प्रवक्ता ने क्या कहा
एएमयू के चीफ प्रॉक्टर वसीम अली ने कहा कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलना चाहिए इसके लिए सारे सबूत और दलील हम तीन जजों की बेंच के सामने भी रखेंगे और पूरी उम्मीद है कि अंतिम फ़ैसला भी हमारे पक्ष में ही होगा. एएमयू के मुख्य प्रवक्ता असीम सिद्दीकी ने कहा कि आज के फ़ैसले से हम बेहद खुश हैं. वहीं, एएमयू के मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के डीन शाफ़े किदवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के अजीज पाशा केस के फैसले को पलट दिया है. ये हमारी बहुत बड़ी जीत है. इससे आगे की लड़ाई का रास्ता साफ़ हो गया है. स्थाई रूप से अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा या नहीं इसका फैसला तीन जजों की बेंच जब करेगी तब आज का ये फैसला नज़ीर बनेगा. पोलिटिकल साइंस के प्रोफेसर अमसर बेग ने भी ख़ुशी ज़ाहिर की.
आर्टिकल 30 के ख़िलाफ है फैसला
अलीगढ़ के बीजेपी एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अधिकारों का असंवैधानिक प्रयोग किया है. मैं अपनी बात को दोहरा रहा हूं. कोई अवमानना हो तो वो भी झेलने के लिए तैयार हूं, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर आज के फैसले से संविधान की आत्मा की हत्या हुई है. आर्टिकल 30 के ख़िलाफ़ है. एएमयू न तो अल्पसंख्यकों के द्वारा स्थापित है और न ही अल्पसंख्यकों के द्वारा प्रशासित है. इतना साक्ष्य ही पर्याप्त है ये साबित करने के लिए कि इसे अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं दिया जा सकता. “
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