नई दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले में एक महिला को उससे अलग रह रहे पति से गुजारा भत्ता के तौर पर 4,000 रूपया दिए जाने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में रहने के खर्च को ध्यान में रखते हुए यह अनुचित रकम नहीं है.


अदालत ने एक मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया. दरअसल, मजिस्ट्रेट अदालत ने उसे महिला को गुजारा भत्ता के तौर पर 4,000 रूपया प्रति महीना देने का निर्देश दिया था.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने कहा कि दिल्ली जैसे महानगरों में जीवन यापन पर आने वाले खर्च को मद्देनजर रखते हुए 4,000 रूपया महीना की रकम ज्यादा नहीं है.


अदालत ने याचिकाकर्ता का यह दावा भी खारिज कर दिया कि उसकी आमदनी का कोई स्रोत नहीं है और उसके माता पिता एवं बेटी उस पर निर्भर हैं. अदालत ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास कोई आमदनी नहीं है तो उस पर दूसरों के निर्भर होने की बात कैसे मानी जा सकती है.


गौरतलब है कि मार्च 2016 में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने इस व्यक्ति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के तौर पर 4,000 रूपया प्रति महीना अदा करने का निर्देश दिया था. महिला ने उस पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था.