यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में दोनों देशों की तरफ से भारी-भरकम और एक से एक खतरनाक मिसाइलों और हथियारों से हमले किए जा रहे हैं. युद्ध में T-72 टैंका का भी इस्तेमाल किया गया. युद्ध में इन टैंकों का क्या हाल हुआ है उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही हैं. भारत के पास भी ये टैंक मौजूद हैं. यूक्रेन में टैंकों की जो हालत हुई है उन्हें देखते हुए भारत ने अपने टैंकों को अपग्रेड करने का फैसला किया है.


भारत ने स्वदेशी मिसाइलों और हथियारों के निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि वह रूस पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है. 4 दशक पुराने T-72 टैंकों को अपग्रेड करने के लिए भारतीय सेना ने निजी रक्षा उद्योग और पब्लिक सर्विस अंडरटेकिंग (PSU) को आमंत्रित करने के लिए रिक्वेस्ट फोर इनफोर्मेशन (RFI) जारी किया है. रूस ने यूक्रेन पर हमले के लिए इन टैंक का इस्तेमाल किया था, लेकिन सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही तस्वीरों में देखा गया कि ये टैंक युद्ध के मैदान में धाराशायी हो गए. भारत के पास करीब 2,400 T-72 टैंक मौजूद हैं और यूक्रेन में इनकी जो हालात हुई हैं उन्हें देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने इनको अपग्रेड करने का फैसला किया है. इसके लिए घरेलु रक्षा कंपनियों की मदद ली जाएगी. 


इंजन, फायर कंट्रोल से लेकर पूरे सिस्टम को किया जाएगा अपडेट
भारतीय सेना सभी टैंकों को रिपेयर करने के बजाय 50 फीसदी टैंकों की मरम्मत करने की सोच रहा है. टैंकों के इंजन, फायर कंट्रोल और अन्य हिस्सों को अपग्रेड करके आज के समय के हिसाब से युद्ध लड़ने के काबिल बनाया जाएगा. ये टैंक 40 दशक पुराने हैं इसलिए आज के समय में जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है उनके हिसाब से इन टैंकों को अपग्रेड करना जरूरी है. इस प्रक्रिया के तहत T-72 टैंकों को अलग करना, इसके पुर्जों को हटाना खोलना, जिन्हें रिपेयर नहीं किया जा सकता उन हिस्सों को हटाना, परीक्षण और टैंकों के सिस्टम एवं पहियों को काम करने के योग्य बनाए जाने का काम किया जाएगा.


शीत युद्ध के दौरान बनाया गया था T-72 टैंक
शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के इंजीनियरों ने T-72 टैंक बनाया था. सोवियत संघ के विघटन से पहले ही T-72 टैंक के 18,000 से ज्यादा यूनिट तैयार कर ली गई थीं. वर्तमान में इस टैंक का अपग्रेडेड वर्जन T-72B3 कई देशों की सेनाओं में शामिल है.


यूक्रेन में धाराशायी हो गए रूस के 2,475 टैंक
युक्रेन के साथ जारी युद्ध की शुरुआत से ही रूस ने T-72 टैंक तैनात किए हुए हैं. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय की ओर से हाल ही में बताया गया कि रूस के 2,475 टैंक बर्बाद हो गए यानी रूस के खजाने के 15 फीसदी टैंक युद्ध के मैदान में बुरी तरह से खस्ताहाल हो गए. सोशल मीडिया पर टैंकों की तस्वीरें भी सर्कुलेट हो रही हैं, जिनमें रूसी टैंकों की हालत बहुत बुरी नजर आ रही है. रूसी T-72 टैंक की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इनमें गोला-बारूद भरने का सिस्टम खतरनाक है, जिसमें ना तो कोई बदलाव किया गया और ना ही प्रदर्शन में वृद्धि हुई. T-72 टैंक का मुख्य बंदूक बारूद बुर्ज के नीचे एक हिंडोले में रखा जाता है. अगर सीधा हमला किया गया तो विस्फोट हो सकता है जो टैंक को नष्ट कर देता है. इतना ही नहीं इसके तीन सदस्यों वाले चालक दल को भी चपेट में ले सकता है.


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