(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
S-400 Missile Delivery: बढ़ेगी दुश्मनों की टेंशन! अगले साल तक रूस देगा दो और S-400 मिसाइल सिस्टम, मजबूत होगा भारत एयर डिफेंस सिस्टम
S-400 Missile System: भारत को अगले साल तक सतह से हवा में मार करने वाली रूस की मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की शेष दो रेजिमेंट मिल जाएंगी. यूक्रेन में युद्ध के कारण आपूर्ति में देरी हुई है.
India Will Get More S-400 Missile System: भारत की सामरिक शक्ति में अगले साल तक और अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद है. अगले साल तक सतह से हवा में मार करने वाली रूस की मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की बाकी दो रेजिमेंट भारत पहुंचेंगी. यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर इसकी आपूर्ति में कुछ देरी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार (23 अप्रैल) को यह जानकारी दी है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक रूस पहले ही 5.5 अरब डॉलर के सौदे के तहत भारत को लंबी दूरी की इस मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयों की आपूर्ति कर चुका है. सूत्रों ने बताया कि सितंबर तक भारत को युद्धपोत तुशिल भी मिलने की उम्मीद है. इसे भी रूस ने ही बनाया है. उन्होंने कहा कि दूसरा युद्धपोत तमाल की आपूर्ति भी जनवरी तक कर दी जाएगी.
2024 में ही हो जानी थी S-400 की आपूर्ति
अधिकारियों ने बताया है कि पहले तय की गई समयसीमा के मुताबिक जहाजों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी. जबकि एस-400 की आपूर्ति 2024 तक पूरी होनी थी. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई. आपूर्ति के लिए एक नई समयसीमा तय की गई है.
रूस 2018 में हुए चार फ्रिगेट सौदे के तहत स्टील्थ फ्रीगेट की आपूर्ति कर रहा है. शेष दो जहाज भारत में बनाए जा रहे हैं. पहले के समझौतों में तय की गई शर्तों के मुताबिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति अगले साल तक पूरी हो जाएगी.
अमेरिका दे चुका है प्रतिबंध की चेतावनी
चीन से पैदा होने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत मिसाइल प्रणालियां खरीद रहा है, ताकि अपनी वायु शक्ति क्षमता को बढ़ाया जा सके. भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पांच इकाई खरीदने के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध आगे बढ़ने पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं.
सीएएीएसए रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ एक तरह की दंडात्मक कार्रवाई है. रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल प्रणाली की पहली रेजीमेंट की आपूर्ति शुरू की और इसे भारत के उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ लगी सीमा और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा को कवर करने के लिए तैनात किया गया है.