यूक्रेन में फंसे दिल्ली के लोगों की वतन वापसी के लिए जानकारी जुटा रहे हैं प्रशासनिक अधिकारी
दिल्ली सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि वे युद्ध प्रभावित यूक्रेन से निकाले गए छात्रों से और जो अभी भी वहां फंसे हुए हैं, उनके परिवार वालों से मिलकर उनकी जानकारी जुटायें
यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग से दौरान भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द वापस भारत लाया जा सके. भारत सरकार के साथ मिलकर तमाम राज्य सरकारें भी अपने-अपने राज्यों के लोगों का डेटा जुटाने की कोशिश कर रही है और पीड़ित परिवारों तक मदद पंहुचाने की क़वायद भी कर रही हैं. दिल्ली सरकार ने भी अपने प्रशासनिक अधिकारियों को ये आदेश दिये हैं कि जल्द से जल्द उन परिवारों तक पंहुचें, जिनके परिजन यूक्रेन में फंसे हुये है. ताकि उनसे सभी ज़रूरी जानकारी जुटाकर विदेश मंत्रालय (MEA) को सौंपी जा सके.
दरअसल दिल्ली सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि वे युद्ध प्रभावित यूक्रेन से निकाले गए छात्रों से और जो अभी भी वहां फंसे हुए हैं उनके परिवार वालों से मिलकर उनकी जानकारी जुटायें ताकि उन्हें निकालने के सभी ज़रूरी कदम उठाए जा सकें. सरकार से मिली जानकरी के मुताबिक़ यूक्रेन में दिल्ली के क़रीबन 870 लोग थे. जिनमें से क़रीबन 200 लोगों को अब तक वापस लाया जा चुका है. ऐसे में अधिकारी उन सभी के घर जा रहे है जो वापस आ चुके है या जो अभी भी वापस लौटने की राह खोज रहे है.
परिवार से निकालकर के दौरान ये अधिकारी उनको हेल्पलाइन नंबर की सूचना देते हैं और हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया जाता है. इसी कड़ी में आज दक्षिणी दिल्ली के हौज़ ख़ास इलाक़े के एसडीएम अनुज भारती दिल्ली के देवली खानपुर इलाक़े में एक परिवार से मिलने पंहुचे. यहां उन्होंने राजेश चौधरी से मुलाक़ात की, इनका बेटा करन चौधरी इस वक्त यूक्रेन बॉर्डर के पास फंसा हुआ है. इस दौरान राजेश चौधरी ने अपने बेटे के बारे में बताते हुये कहा कि यूक्रेन के लवीव शहर में फ़र्स्ट ईयर का स्टूडेंट है करन चौधरी, करन से परिवार की लगातार बातचीत भी हो रही है.
करन के पिता राजेश चौधरी ने बताया कि उनका बेटा पोलैंड बॉर्डर पर पहले पंहुचा था, यहां तक पंहुचने के लिये उसे 28 किलोमीटर पैदल पूरी रात चलना पड़ा. लेकिन पंहुचने पर वहां की सरकार ने उसे और उसके साथियों को लेने से मना कर दिया इस दौरान वहां पर उनके साथ मारपीट भी की गयी. जिसके बाद से सभी फिर वापस हॉस्टल की तरफ़ आये, जिसके बाद वहां विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बात करके उन्हें बस के ज़रिये हॉस्टल भेजा गया और फिर किसी तरह हंगरी बॉर्डर की तरफ़ जाने को कहा गया और ये सभी फिर हंगरी बॉर्डर तक पहुंचे.
राजेश चौधरी ने बताया कि उनका बेटा और उसके सभी साथी बुडापेस्ट तक पंहुच गये है. वहां पर ज़मीन पर सो रहे है लेकिन वहां सरकार की मदद से खाने और रहने की जगह मिल गयी है. राजेश ने बताया कि रातभर ठंड में रहने और पैदल चलने से करन काफ़ी बीमार भी हो गया है . राजेश चौधरी ने आगे कहा कि मध्यम वर्ग के परिवार की होने की वजह से वो अपने बेटे को देश में नहीं पढ़ा पाये इसलिये बच्चे को बाहर भेजा ताकि डॉक्टर बन सके.
राजेश ने ये भी कहा कि उनके बेटे के दसवीं और बारहवीं में भी काफ़ी अच्छे नंबर आये, नीट की परीक्षा में भी काफ़ी अच्छे नंबर आये लेकिन एडमिशन नहीं मिल पाया. प्राइवेट कॉलेज से पढ़ाना बहुत मंहगा पड़ रहा था इसलिये मजबूरी में बच्चे को विदेश भेजना पड़ा. वहीं करन की मां ने भी बताया कि अब सब सरकार पर ही निर्भर है, उन्होंने कहा कि सरकार से यही चाहती हूं कि मेरे बेटे को जल्द से जल्द घर वापस लेकर आये.
इस परिवार से मिलने पंहुचे इलाक़े के एसडीएम अनुज भारती ने कहा कि दिल्ली सरकार की कोशिश है कि उन सभी परिवारों तक पंहुचा जा सके जिनके बच्चे या बाक़ी परिवारजन अभी भी यूक्रेन में फंसे हुये है. अनुज भारती ने कहा कि घर-घर जाकर हम ये पता कर रहे हैं कि कौन किस स्थिति में है और इस दौरान अगर पता चलता है कि कोई ज़्यादा बड़ी मुसीबत में है तो इसकी जानकरी तुरंत आला अधिकारियों को भेजी जा रही है ताकि तुरंत कार्यवाही कर वहां से उसे निकाला जा सके. अनुज भारती ने कहा कि उनके पास अब तक 25 मामले आये हैं जिनमें से 4 बच्चे अभी भी वहीं फंसे है बाक़ी वापस आ चुके हैं. एसडीएम ने बताया कि ये पूरी जानकरी विदेश मंत्रालय तक पहुंचाई जा रही है ताकि फंसे हुए लोग जल्द वापस लौट सकें.
इसके साथ ही दिल्ली सरकार यूक्रेन से भारत लौट रहे दिल्ली के लोगों को एयरपोर्ट से उनके घर तक पहुंचाने के लिये ट्रांस्पोर्ट की व्यवस्था भी कर रही है. इसको लेकर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि दिल्ली सरकार यूक्रेन में फंसे लोगों के परिवारों के साथ लगातार संपर्क में है. दिल्ली सरकार हिंडन या इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आने वाले राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने संबंधी यात्रा सुनिश्चित करेगी.