बीते दो दिनों के भीतर राजधानी दिल्ली में कई राजनीतिक सरगर्मियां देखने को मिली हैं. फिर चाहे वो भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन का फोन आना हो, भारत के दौरे पर ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिज़ाबेथ ट्रस की मुलाकातें हों, अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह का दौरा, जर्मनी चांसलर के विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर की बैठक या फिर चीनी विदेश मंत्री वांग यी का हालिया दौरा हो... इन सभी बातचीत से लग रहा है कि यूक्रेन संकट के बीच दिल्ली हॉटलाइन बन चुकी है. वहीं इस बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी भारत दौरे पर आ चुके हैं.
कूटनीति का अहम केंद्र बनी दिल्ली?
यूक्रेन संकट के बीच पिछले एक हफ्ते के दौरान दुनिया के कई बड़े नेताओं के दौरों से दिल्ली में राजनयिक सरगर्मियां तेज़ हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि दुनिया के बड़े नेता आखिर भारत क्यों आ रहे हैं? इसका जवाब भारत की अहमियत और हैसियत का भी निशान देता है. क्योंकि हर कोई चाहता है कि भारत उसके साथ रहे. भारत की राजी और मर्जी इतना मायने रखती है कि उसे मनाने और उसके साथ मशवरे के लिए दुनिया के बड़े मुल्क अपने दूत भेज रहे हैं. यूक्रेन को लेकर उलझी दुनिया की राजनीति में भारत की राजधानी दिल्ली कूटनीति का एक अहम केंद्र बन गई है जहां समाधान पर रायशुमारी के साथ-साथ आगे की रणनीति पर भी बात हो रही है.
- 24 फरवरी 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात हुई. यानी उसी दिन जब रूस ने यूक्रेन पर बमबारी शुरू की.
- 26 फरवरी 2022 को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़लेंस्की और पीएम मोदी की बीच बातचीत हुई.
- 1 मार्च 2022 को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और पीएम मोदी की फोन पर बातचीत हुई.
- 2 मार्च 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी के बीच फोन पर बातचीत हुई
- 3 मार्च 2022 को यूक्रेन संकट पर क्वाड नेताओं की वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय पीएम समेत अन्य नेता मौजूद थे.
- 7 मार्च 2022 को पीएम मोदी ने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़लेंस्की से बात की और फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से चर्चा की.
- 19 मार्च 2022 को भारत और जापान के पीएम किशिदा के बीच दिल्ली में शिखर वार्ता हुई जिसमें यूक्रेन संकट पर बात हुई.
- 21 मार्च को क्वाड के एक और सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ यूक्रेन संकट को लेकर चर्चा की. इसी दिन बाइडेन प्रशासन की विशेष दूत विक्टोरिया नूलैंड भी भारत से राय मशविरा करने पहुंची थीं.
22 मार्च को ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने भी भारत के पीएम को फोन किया था. इसी तरह 25 मार्च को चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर आए. द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा यूक्रेन संकट पर भी इस दौरान बात हुई. साथ ही 31 मार्च को ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिज़ाबेथ ट्रस का भारत दौरा हुआ, वहीं इसी दिन भारत के विदेश मंत्री को अमेरिकी विदेश मंत्री का फोन भी आया. अब 31 मार्च और 1 अप्रैल के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव की भारत यात्रा हो रही है. जाहिर है यहां भी बातचीत का मुद्दा यूक्रेन संकट के इर्द-गिर्द ही रहना है.
भारत पर खुलकर बोलने का दबाव
पश्चिमी देशों का खेमा लगातार इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि भारत को रूस के खिलाफ लगाई गई पाबंदियों पर साथ देना चाहिए. साथ ही समर्थन की आस में पश्चिमी मुल्क भारत को यह जताने में भी जुटे हैं कि उसे इस मामले पर खुलकर बोलना चाहिए वरना चीन जैसे देश की हिम्मत बढ़ेगी और वो सीमाओं को मनमर्जी से बदलने की कोशिश करेगा. जहिर है यह भारत की चिंताएं भी हैं और वो चीन के ऐसे दुस्साहस को न मंजूर कर सकता है और ना ही बर्दाश्त करेगा.
हालांकि यूक्रेन के मामले में भारत की चुनौती सिद्धांतों के साथ-साथ अपने राष्ट्रीय हितों के फिक्र से भी जुड़ी है. रूस के साथ उसके पुराने और व्यापक रिश्ते हैं. साथ ही सेटेलाइट से लेकर परमाणु रिएक्टर की साझेदारी और हथियार खरीद सौदों जैसी अनेक अहम परियोजनाएं चल रही हैं. ऐसे में भारत का अपनी प्रतिक्रियाओं में एहतियात ज़रूरतों का तकाज़ा भी है और संतुलन का आग्रह भी.
रूसी विदेश मंत्री का भारत दौरा
रूस-यूक्रेन संकट का हल निकालने को लेकर दुनियाभर में चल रही कवायदों और माथापच्ची के बीच ही रूस के विदेश मंत्री लावरोव भारत पहुंच गए हैं. रूसी विदेश मंत्री का यह दौरा 24 घंटे से कम का है. विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से उनकी मुलाकात 1 अप्रैल को दोपहर 12:30 पर होनी है. हालांकि इस दौरे में पीएम मोदी से फिलहाल उनकी शिष्टाचार भेंट का कोई कार्यक्रम नहीं है. सूत्रों के मुताबिक बातचीत के मुद्दों में यूक्रेन के मौजूदा हालात का विषय अहम होगा. भारत रूसी विदेशी मंत्री से सीधे जानना चाहेगा कि इन शांति वार्ताओं में क्या स्थिति है और समाधान के लिए रूस की तरफ से क्या प्रयास किए गए हैं. रूस-यूक्रेन युद्व शूरू होने के बाद यह दोनों विदेश मंत्रियों की पहली आमने-सामने की मुलाकात है.
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