यूक्रेन और रूस की जंग लगातार नौवें दिन भी जारी है. वॉर जोन में फंसे भारतीयों को निकालने का काम लगातार जारी है. लेकिन अब भी काफी भारतीय यूक्रेन के युद्धग्रस्त शहरों में फंसे हुए हैं, जिन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीजफायर के बिना सभी छात्रों को निकालना मुश्किल है, चाहे लोकल सीजफायर हो. हम नहीं चाहते कि खतरे वाली जगह से किसी छात्र को बॉर्डर पार करने को कहें.


 विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, बसें करीब साठ किलोमीटर दूर हैं. करीब 16 फ्लाइट्स 24 घंटे के लिए शेड्यूल हैं. 20 हजार छात्र यूक्रेन बॉर्डर से बाहर आए हैं. अब तक कुल 48 फ्लाइट्स 10344 छात्रों को लेकर आ चुकी हैं. 


'खारकीव और पिसोचिन में काफी छात्र फंसे हैं'
 
बागची ने आगे बताया, हमने यूक्रेन से स्पेशल ट्रेनों के लिए भी कहा था लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया. पूर्वी यूक्रेन में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है खासकर खारकीव और पिसोचिन में. वहां हमने बसें भेजी हैं.5 बस पहले ही ऑपरेशनल हैं. बाकी बसें आज शाम तक ऑपरेशनल हो जाएंगी. 


उन्होंने बताया कि 900-100 छात्र पिसोचिन में और 700 से ज्यादा सुमि में हैं. हम सुमि के लिए चिंतित हैं. बागची ने ऑपरेशन के ब्योरे के अलावा सामग्री के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा,  पहली एयरफोर्स की फ़्लाइट से छह टन सामग्री रोमानिया भेजी गई है. दूसरी से नौ टन सामग्री स्लोवाकिया भेजी गई है और तीसरी से आठ टन सामग्री पोलैंड भेजी गई है.


हरजोत के इलाज का खर्च उठा रही भारत सरकार


बागची ने बताया कि भारत सरकार कीव में हरजोत सिंह के इलाज का खर्च उठा रही है. हम उनका मेडिकल स्टेटस जानने की कोशिश कर रहे हैं. एम्बेसी भी उनके स्वास्थ्य का हाल जानने की कोशिश में जुटी है. हम उन तक पहुंचना चाहते हैं लेकिन युद्ध क्षेत्र होने के कारण दिक्कतें आ रही हैं.  


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