Russia Ukraine War: रुस-यूक्रेन युद्ध से क्या सीख सकते हैं भारतीय वायुसेना के जवान? एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने बताया
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी (Air Chief Marshal VR Chaudhari) ने कहा कि सैन्य रणनीतिकार को अपने प्राथमिक उद्देश्य से नहीं चूकना चाहिए और वह है युद्ध लड़ना.
VR Chaudhari On Air Warrior: रुस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) से अगर भारतीय वायु-सैनिक कोई सीख ले सकते हैं तो वो ये कि मिलिट्री-स्ट्रेटेजिस्ट को कभी ये नहीं भूलना चाहिए कि उनका काम मुख्यत: युद्ध लड़ना है. इसलिए भारतीय वायुसेना का ध्यान हमेशा ऑपरेशनल तैयारियों की रणनीति बनाने पर रहना चाहिए. ये मानना है वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी (Air Chief Marshal VR Chaudhari) का.
वायुसेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल चौधरी शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में एक सेमिनार को संबोधित रहे थे. ये सेमिनार वायुसेना के मिड-लेवल अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया था जिसका थीम था यूक्रेन-रुस युद्ध से सीख.
इन सभी अधिकारियों को भारतीय वायुसेना के कॉलेज ऑफ एयर-वॉरफेयर (सीएडब्लू) से वॉरफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रेटेजी प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग दी गई है. प्रोग्राम के समाप्ति पर इस सेमिनार का आयोजन किया गया था. इस प्रोग्राम का मकसद इन वायु-सैनिकों को स्कॉलर-वॉरियर बनने पर जोर देकर रणनीतिक-सोच को पैदा करना है.
'प्राथमिक उद्देश्य से नहीं चूकना चाहिए'
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि सैन्य रणनीतिकार को अपने प्राथमिक उद्देश्य से नहीं चूकना चाहिए और वह है युद्ध लड़ना. इसलिए युद्ध लड़ने की कला और विज्ञान की गहरी समझ विकसित करते हुए हमारा ध्यान ऑपरेशन्ल स्तर पर गहन सोच और रणनीति पर रहना चाहिए.
जियो-पॉलिटकल रुल्स की बात
वायुसेना प्रमुख ने साफ तौर से कहा कि आज हम देख रहे हैं कि इंटरनेशनल ऑर्डर को मल्टीपोलर वर्ल्ड से चुनौतियां मिल रहे हैं जहां जियो-पॉलिटकल रुल्स को या तो बिल्कुल नहीं माना जा रहा या फिर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है.
एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी (Air Chief Marshal VR Chaudhari) ने कहा कि आज डिप्लोमेसी, इकोनॉमी और इंफोर्मेशन टूल्स ऑफ इंगेजमेंट है और मिलिट्री-इंस्ट्रूमेंट को डिटरेंट की तरह इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि साइबर, इंफॉर्मेशन और स्पेस (अंतिरक्ष) के डोमेन दवाब बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इसलिए भारत को अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं का मूल्यांकन कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं हम पिछड़ ना जाए.