यूक्रेन की राजधानी कीव से वीकेंड कर्फ्यू हटा लिया गया है. यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास की तरफ से यह कहा गया है कि फंसे हुए लोग स्टेशन पहुंचें. रेलवे स्टेशन पर लोगों को निकालने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. इधर, यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है. ऐसे में भारतीयों को यूक्रेन से निकालने के प्रयासों में लगातार मुश्किलें आ रही हैं. सूत्रों के मुताबिक इसमें कहा गया है कि यूक्रेन के पूर्वी भाग में हालात फिलहाल अच्छे नहीं हैं. लिहाजा इससे पहले कहा गया था कि अभी जो जहां है वहीं रहे. घबराए बिना अपने को सुरक्षित रखना अभी जरूरी है. सरकार हालात पर नजर रखे हुए हैं और लोगों को वहां से लगातार भारत लाने की कोशिशें चल रही हैं. हालात में थोड़ी सी भी बेहतरी होते ही पूर्वी भाग से भी लोगों को तेज़ी से निकालना संभव होगा. इस दौरान विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक हुई, जिसमें यूक्रेन का मुद्दा गूंजा. इस बैठक में सरकार ने बताया कि  यूक्रेन में फंसे लोगों को लाने की हर संभव कोशिश जारी है. सरकार ने फंसे हुए लोगों को लाने के लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया है.


एक तरफ जहां पोलैंड और हंगरी जैसे देशों ने यूक्रेन से भागने वाले यूक्रेनी नागरिकों का स्वागत किया है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन छोड़ने की कोशिशों में जुटे कुछ भारतीय नागरिकों ने पोलैंड सीमा पर कठिनाइयों का सामना करने की सूचना दी है. पोलैंड में एक भारतीय स्वयंसेवक ने रविवार को कहा कि यूक्रेन से पोलैंड पहुंचने की कोशिश कर रहे कुछ भारतीय नागरिक मेड्यका की ओर जाने वाली सीमा पर फंस गए हैं और पोलैंड में दाखिल होने में असमर्थ हैं.


कीव स्थित भारतीय दूतावास ने रविवार को कहा कि भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इससे अनजान कुछ नागरिक पोलैंड से सटी सीमा पर पहुंच गए हैं और वहां फंस गए हैं. रुचिर कटारिया नाम के स्वयंसेवक ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि मेड्यका को पार करने के इच्छुक भारतीयों से टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा गया था, "रोमानिया जाओ.''


कटारिया ने बताया कि हालांकि, वे पहले ही सीमा तक पैदल चलकर लंबी यात्रा कर चुके हैं और उनके पास सैकड़ों किलोमीटर दूर रोमानिया की सीमा तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं है. खबरों के मुताबिक, कुछ अन्य भारतीय नागरिक, जो पोलैंड में दाखिल होने में कामयाब रहे, उन्हें पोलिश अधिकारियों और धर्मार्थ संस्थाओं द्वारा स्थापित आश्रयों में रहने के लिए जगह नहीं दी जा रही है. कटारिया की पत्नी मैग्डेलेना बार्सिक के अनुसार, भारतीय नागरिकों से कहा जा रहा है कि यह सुविधा यूक्रेनी नागरिकों के लिए आरक्षित है. बार्सिक अपने पति के साथ यूक्रेन से भागने वाले भारतीय नागरिकों की मदद कर रही हैं.


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