Russia-Ukraine Conflict: दुनिया भर में अपनी बढ़ती साख और विश्वसनीयता का लाभ उठाकर भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए मध्यस्थता करनी चाहिए. ये सलाह विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की आज हुई बैठक में मौजूद सदस्यों ने दी है. 


मीटिंग में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सदस्यों को इस पूरे मामले से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी. बैठक में मौजूद रहे सदस्यों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ज्यादातर सदस्यों का मानना था कि अगर भारत की मध्यस्थता से रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होता तो इससे दुनिया में उसके विश्वसनीयता और बढ़ेगी, जिससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भारत की दावेदारी बेहद मजबूत हो जाएगी. 


विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?


सूत्रों के मुताबिक सदस्यों की सलाह पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि अगर भारत के पास ऐसा आवेदन आता है तो भारत को मध्यस्थता करने से कोई गुरेज नहीं होगा. बैठक में उन्होंने भारत के रुख को उचित ठहराते हुए कहा कि पूरे मामले में हिंदुस्तान ने तटस्थ रहने की बजाय स्वायत्तता की नीति का पालन किया और देश के हितों को ध्यान में रखकर फैसला किया. चाहे बात रूस से तेल खरीदने की रही हो या फिर कूटनीतिक फैसलों की. 


सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बैठक में सदस्यों के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत समेत दुनिया पर उसके असर और युद्ध को लेकर भारत के रुख के बारे में विस्तार से बताया. सूत्रों के मुताबिक सदस्यों ने विदेश सचिव के प्रेजेंटेशन और रूस- यूक्रेन युद्ध में अब तक हिंदुस्तान की ओर से उठाए गए कदमों और उसके रुख की सराहना की. 


सदस्यों ने क्या कहा


सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि इस पूरे मामले में भारत ने दुनिया भर में अपनी विश्वसनीयता बनाई है. बैठक में पीएम मोदी के उस बयान को सराहा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आज का दौर युद्ध का नहीं, बल्कि शांति का दौर है. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान को बैठक की कार्यवाही में शामिल भी किया गया है. 


विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीटिंग में कहा कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत पर इस युद्ध का असर कम होने की संभावना है. उन्होंने ये भी कहा कि दूसरे देशों की अपेक्षा इसके असर से निपटने की भारत के पास ज्यादा तैयारी है. 


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