यूक्रेन की राजधानी कीव बम धमाकों से दहली हुई है. कीव में 3 दिनों से राजस्थान के डूंगरपुर की एक मेडिकल स्टूडेंट भी फंसी हुई है. उसके साथ 500 से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट फंसे हुए हैं. फिलहाल वे इन्डियन एंबेसी से सटे एक स्कूल में मौजूद हैं, लेकिन उनके सामने खाने-पीने की समस्या आ रही है. वहीं एंबेसी की ओर से गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया जा रहा है.
मेडिकल छात्रा जीनी पटेल ने बताया कि वह तीन दिन पहले 24 फरवरी को उसकी इंडिया की फ्लाइट होने के चलते उद्ग्रोज होस्टल से कीव पहुंच गई थी. उसी समय रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू कर दिया. रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव तक आ गई है. जीनी ने बताया की पहले दिन वह रेलवे स्टेशन पर फंसे रहे. अभी उन्हें कीव में इंडियन एंबेसी के पास एक स्कूल में रखा है. जीनी ने बताया की हर मिनट में स्कूल और एंबेसी के आसपास बम के धमाके हो रहे हैं. जहां देखो बम विस्फोट, आग और धुंआ दिखाई दे रहा है. सड़कों पर गोलीबारी, सेना के टैंक चल रहे हैं.
जीनी पटेल ने बताया की बम के धमाकों से सब डरे हुए हैं. एंबेसी में ऑफिसर भी कोई जवाब नही दे रहे हैं. जब भी बात करते हैं, तो निकालने की बात कहते हैं, लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा है. खाने को कल कुछ मिला था. इसके बाद से आज तक कुछ भी खाने के लिए भी नही मिला है. एंबेसी के अधिकारी अब अपने हिसाब से निकलने की बात कहकर उनकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं.
जीनी ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार उन्हें यहा से उन्हें जैसे भी करके निकाले अगर बाहर निकलने की कोशिश की तो बम या गोली के शिकार हो जाएंगे. वहीं डूंगरपुर की छात्रा प्रांजल जैन, खेरवाड़ा के छात्र कुलदीप कलाल ने भी मदद की गुहार लगाई है गौरतलब है की डूंगरपुर जिले के 250 से अधिक मेडिकल छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं.
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