Exclusive: रूस-यूक्रेन जंग में बर्बाद हो चुका है मारियुपोल शहर, 47 दिन बाद भी सुनाई दे रही है बम धमाकों की आवाज
डोनबास के दोनेतस्क का मारियुपोल शहर में दाखिल होते ही साफ दिखने लगता है कि ये रूस और यूक्रेन के बीच जंग कितनी भीषण है.
रूस-यूक्रेन जंग में सबसे बड़ा नुकसान किसी शहर को हुआ है तो वो है मारियुपोल. 45 दिन की जंग में शहर पूरी तरह तबाह हो चुका है. रूस समर्थित दोनेत्सक मिलेशिया शहर पर कब्जा करने का दावा कर रही है. लेकिन जब एबीपी न्यूज की टीम मारियुपोल पहुंची तो तब भी बम धमाकों गोलाबारी की आवाज सुनाई दे रही थी.
सड़कों पर तबाही का मंजर
डोनबास के दोनेतस्क का मारियुपोल शहर में दाखिल होते ही साफ दिखने लगता है कि ये रूस और यूक्रेन के बीच जंग कितनी भीषण है. शहर की कोई बिल्डिंग ऐसी नहीं बची है जिस पर मिसाइल से हमला ना हुआ हो, या फिर बम ना गिरा हो. रिहायशी बिल्डिंग, थियेटर, सिनेमा हॉल, मॉल, रेस्त्रा सब जलकर खाक हो चुके हैं. जगह-जगह सड़कों में बम-धमाकों से बड़े-बड़े गढ्ढे हो चुके हैं. सड़क पर जगह-जगह टूटी-फूटी और जली हुई कारें, बस और ट्राम पड़ी हुई नजर आईं. वहीं रूसी सेना और दोनेत्सक मिलेशिया के अस्थायी चेक पोस्ट बने हुए थे. हर आने-जाने वाली गाड़ी की तलाशी के बाद ही सड़क पर निकलने दिया जा रहा था.
थिएटर को लेकर रूस-यूक्रेन के अलग-अलग दावे
एबीपी न्यूज की टीम जब मारियुपोल शहर के सिटी-सेंटर में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही थी, उसी वक्त वहां बम धमाकों की आवाज आनी शुरु हो गई. करीब में ही गोलाबारी हो रही थी. रूसी सेना के अधिकारियों ने हमें तुरंत वहां से सुरक्षित स्थान पर चलने का निर्देश दिया. क्योंकि ज्यादा देर वहां रुकना खतरे से खाली नहीं था. इसके बाद हम पहुंचे मारियुपोल के उस थियेटर में जिसमें हुई गोलाबारी से 300-400 लोग मारे गए थे. जंग के दौरान यूक्रेन की तरफ से दावा किया गया था कि रूस की सेना की बमबारी से बचने के लिए स्थानीय नागरिकों ने यहां शरण ले रखी थी. लेकिन रूसी सेना का आरोप है कि यूक्रेन की सेना ने इस थियेटर को अपना एम्युनिशेन स्टोर यानी गोला-बारुद स्टोर करने का अड्डा बना रखा था.
रूस का आरोप है कि इस थियेटर पर बाहर से कोई बम या मिसाइल आकर नहीं गिरा था, बल्कि यहां रखे गोला-बारूद में ही आग लग गई थी, जिसके चलते इतनी भयंकर घटना हुई. रूसी सेना का तो यहां तक दावा है कि मारे गए लोग कोई और नहीं बल्कि यूक्रेन के सैनिक थे. क्योंकि शहर पर कब्जा करने के बाद रूसी सेना थियेटर पहुंची तो यहां यूक्रेन सेना से जुड़े दस्तावेज और यूक्रेन के सैनिकों की यूनिफार्म मिली थीं. हमारी टीम जब इस थियेटर में पहुंची तो पाया कि ये थियेटर बेहद मजबूती के साथ बनाया गया था. इसकी दीवारें और छतें कई कई फीट मोटी थीं. ऐसा लगा कि ये किसी एक बम या मिसाइल की वजह से तबाह नहीं हुआ था.
मारियुपोल अजोव सागर पर बसा एक पोर्ट सिटी यानी बंदरगाह है. ये डॉनबास के दोनेत्सक इलाके का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. पोर्ट सिटी होने के चलते रूस इस पर कब्जा करना चाहता था. लेकिन यूक्रेन भी अपने हाथ से मारियुपोल को नहीं जाने देना चाहता था. यही वजह है कि यहां जंग बेहद भयावह थी. रूस चाहता था कि मारियुपोल पर कब्जा कर यूक्रेन को अजोव सागर से पूरी तरह काट दिया जाए. यही वजह है कि रूसी नौसेना ने अपने युद्धपोत से मारियूपोल में यूक्रेन की सेना की छावनियों, आयुध स्टोर और सैन्य अड्डों पर मिसाइल से हमला किया था.
दोनेत्सक से बाहर निकलने के लिए लोगों की कतार
बता दें कि दोनेत्सक को रूस एक अलग देश घोषित कर चुका है. यूक्रेन के राष्ट्रपति, जेलेंस्की भी कह चुके हैं कि डोनबास को अब वापस यूक्रेन में मिलाना नामुमकिन है. यही वजह है कि मारियुपोल शहर में अब रूसी सेना और दोनेत्सक मिलेशिया का कब्जा है. शहर के बाहरी इलाकों में लोगों की सुरक्षित शहर से बाहर निकलने की कतार लगी हुई है. वो इसलिए क्योंकि शहर के भीतर उनके घर बिल्कुल तबाह हो चुके हैं. रहने के लिए अब वो छत तक के लिए मोहताज हो गए हैं. थोड़े बहुत लोग जो शहर में बचे हैं वे खुले पार्क में आकर अपना खाना बना रहे हैं और रात में वहीं सोते हैं. पीने के पानी तक के लिए मारियूपोल के लोग मोहताज हो गए हैं.
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