(Source: Matrize)
पुतिन का पश्चिमी देशों के खिलाफ मोर्चा भारत के लिए कितना फायदेमंद, यहां समझिए कैसे रूस के फैसले से इंडिया को होगा फायदा
India Import Russian Oil: यूक्रेन में जंग के बीच भारत लगातार रूस से तेल (Russian Oil) खरीद रहा है. भारत (India) की कुल तेल की जरूरत का करीब 80 फीसदी से अधिक हिस्सा रूस (Russia) सप्लाई करता है.
Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले करीब 10 महीने से जंग लगातार जारी है. इस बीच रूस की सरकार ने पश्चिमी देशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रूस ने उन देशों और कंपनियों को ऑयल (Russian Oil) बेचने से इनकार कर दिया है, जो पश्चिमी देशों के तेल की कीमत नियंत्रित करने के निर्णय को मानने के दिशा में काम कर रहे हैं. पुतिन की सरकार ने ये भी दावा किया था कि कीमतों को कंट्रोल (Control Oil Prices) करने के पश्चिमी देशों के फैसले से रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.
रूस की व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि ये बैन एक फरवरी 2023 से एक जुलाई 2023 तक के लिए लागू रहेंगे.
पुतिन का पश्चिमी देशों के खिलाफ मोर्चा
रूस का आरोप है कि पश्चिम देश उनके देश की अर्थव्यवस्था को कमजरो करने की कोशिश में हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन सरकार ने उन देशों और कंपनियों को तेल की बिक्री करने से मना कर दिया है, जो पश्चिमी देशों के तेल की कीमत नियंत्रित करने के निर्णय को मानते हैं. इन देशों पर एक फरवरी से अगले पांच महीने तक ये प्रतिबंध लगाया गया है. हालांकि सरकार की ओर से जारी आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि राष्ट्रपति पुतिन चाहेंगे तो किसी देश को ऑयल सप्लाई को लेकर विशेष रूप से इजाजत दे सकते हैं. पुतिन सरकार ने ये भी कहा था कि तेल की कीमतों पर कैप से हमें किसी तरह का नुकसान नहीं होगा.
President #Putin: The cap on Russian #oil will not harm us in any way. It is a stupid, ill-conceived & uncalculated proposal and a harmful decision for world #energy markets. pic.twitter.com/pGmorYejaI
— Russian Embassy, UK (@RussianEmbassy) December 10, 2022
भारत का क्या है रूख?
यूक्रेन में युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत पर रूस के खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश की थी, लेकिन पीएम मोदी की सरकार ने बाइडेन के आगे झुकने से इनकार करते हुए रूस से संबंध ठीक रखे थे. मोदी की सरकार ने इस बात के पहले ही संकेत दे चुकी है कि भारत उन देशों में शामिल नहीं है, जो पश्चिमी देशों के नियंत्रित कीमतों को स्वीकार करेंगे. सरकार ने साफ कर दिया है कि वो वही करेगी जो भारतीय के लिए हित में है. इसका सीधा मतलब ये है कि भारत को रूस से तेल की सप्लाई जारी रहेगी.
We don't ask our companies to buy Russian oil, we ask them to buy what's the best option they get. It depends on the market, it's a sensible policy to go where we get the best deal in the interest of the Indian people: EAM S Jaishankar pic.twitter.com/RDiJNOfNYy
— ANI (@ANI) December 7, 2022
भारत को कैसा होगा फायदा?
भारत लगातार रूस से सस्ता तेल आयात कर रहा है. 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वर्ष में भारत में इंपोर्ट रूसी ऑयल की मात्रा कुल आयात का 0.2 फीसदी था. मौजूदा वक्त ये आयातीत तेल का डेटा 20 फीसदी से भी अधिक है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल तेल की ज़रूरत का करीब 80 फीसदी से अधिक रूस से पूरा होता है. 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए साल में भारत का कुल तेल आयात 119 अरब डॉलर का रहा था. एनर्जी डेटा ट्रैकर कंपनी वॉर्टेक्सा की मानें तो नवंबर 2022 में लगातर दूसरे महीने रूस भारत का नंबर वन तेल आपूर्ति करने वाला देश रहा.
बता दें कि यूरोपीय संघ (European Union), जी-7 देशों (G-7 Countries) और ऑस्ट्रेलिया ने रूसी ऑयल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय किया था और तेल की ये कीमत पिछले साल 5 दिसंबर से लागू है. ऐसा कहा जा रहा है कि इन देशों की पूरी कोशिश है कि यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग के बीच रूस आर्थिक रूप से कमजोर हो जाए. वहीं, ये देश ये भी चाहते हैं कि ऑयल की कीमत इतनी भी न बढ़े कि कोरोना महामारी से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को ठेस पहुंचे.
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