India on Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन संकट पर भारत के रुख को लेकर यूरोप की तरफ़ से उठ रही उंगलियों और सवालों पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने यूरोपीय कुनबे को दोहरे मानदंडों पर आईना दिखाया. विदेश मंत्री ने साफ कहा कि यूक्रेन संकट से यूरोप को चिंता हो रही है, लेकिन अफगानिस्तान संकट के वक़्त उसका रुख और नजरिया अलग था.
विदेश मंत्री जयशंकर ने उठाया अफगानिस्तान का मुद्दा
रायसीना डायलॉग के मंच से तीन यूरोपीय मुल्कों के विदेश मंत्रियों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि यूरोप के देशों को अब वैश्विक व्यवस्था की चिंता हो रही है, लेकिन एशिया में इसकी चुनौती काफी समय से चल रही है. यूक्रेन में जो हो रहा है वह महत्वपूर्ण है, लेकिन अफगानिस्तान में जो हुआ उसे भी वैश्विक व्यवस्था के किसी मानदंड से जायज नहीं ठहराया जा सकता.
विदेश मंत्री ने नॉर्वे, स्वीडन और लग्जमबर्ग के विदेश मंत्रियों की तरफ से यूक्रेन मुद्दे पर पूछे गए सवालों पर कहा कि, भारत का नज़रिया साफ है. हम चाहते हैं कि हिंसा पर तुरंत रोक लगाई जाए और समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जाएं. यह समझा जा सकता है कि यूरोप और पश्चिमी देशों के लिए फिलहाल यह सबसे गंभीर मुद्दा है. मगर, हम सभी अपनी-अपनी स्थितियों के अनुसार ही प्राथमिकताएं तय करते हैं. यह समझना होगा कि इससे बाहर भी दुनिया में कई मुद्दे हैं.
आतंकवाद के खतरे का भी किया जिक्र
विदेश मंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अच्छा है कि आप भारत में बैठकर बात कर रहे हैं जहां से अन्य मुद्दों को भी देखा जा सकता है. वैश्विक व्यवस्था की चुनौती बढ़ने पर कम से कम हम आपको व्यापार बढ़ाने की वो सलाह नहीं दे रहे हैं जो एशिया के संदर्भ में हमें दी जाती है. इतना ही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने यूक्रेन संकट का हवाला देते हुए एशिया प्रशांत के लिए ख़तरा दिखाने की कोशिशों पर भी करारा जवाब दिया. जयशंकर ने कहा कि एशिया प्रशांत के लिए ख़तरा होगा नहीं बल्कि है. एशिया के इलाक़े में आतंकवाद, यूएन नियमों की अनदेखी की घटनाएं बीते कई सालों से हो रही हैं और हम इसका सामना कर रहे हैं. लेकिन यूरोप को इसकी चिंता अब हो रही है क्योंकि यूक्रेन संकट के कारण उन्हें ख़तरा अपने क़रीब लग रहा है. लिहाज़ा बेहतर होगा कि यूरोप भी इसको समझे और जागे.
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