Russia Ukraine War: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की मदद कर रहा एनजीओ, परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
यूक्रेन में हजारों भारतीय नागरिक और छात्र फंसे हुए हैं. युद्ध की वजह से उन्हें वहां से वापस भारत लाने में सरकार को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उनके परिजन काफी चिंतित हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक यूक्रेन में फंसे हुए हैं. ऐसे में उनके परिजन यहां भारत में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. लगातार भारत सरकार से यह गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द उनके अपनों को भारत वापस ने लाया जा सके. ऐसे में एक एनजीओ 'रेडियो' (REDIO) विदेशी धरती पर मुसीबत में फंसे भारतीयों की मदद के लिए काम करती है. रेडियो के सीनियर एग्जीक्यूटिव रजत कपूर का कहना है कि उनकी एनजीओ के पास अब तक 2700 से ज्यादा छात्र-छात्राएं व अन्य भारतीय नागरिक संपर्क कर चुके हैं, जो खुद को यूक्रेन से बाहर निकलकर भारत लौटना चाहते हैं.
रजत कपूर के मुताबिक, "एनजीओ ने इन सबका एक डाटा तैयार करके मिनिस्टर मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स को भेज दिया है. जिसमें उन सभी के पासपोर्ट नंबर, वे किस शहर में रुके हुए, क्या कर रहे हैं आदि सारी जानकारी साझा की गई है. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ये भी चाहते हैं कि उनके जो पेट हैं, जैसे कुत्ता या फिर बिल्ली भी उन्हें भी वापस भारत लाया जाए और यह अपने में एक बहुत बड़ा चैलेंज है. एनजीओ लगातार विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में हैं. पोलैंड आदि में जो दूतावास है, वहां के जो भारतीय राजदूत है, उनसे हमारी एनजीओ की बातचीत कर रही है."
उन्होंने कहा, "हम ऐसे सभी भारतीय नागरिकों को यही कह रहे हैं कि वे हिम्मत न हारे और पैनिक न करें. बहुत जल्दी उन सभी को भारत वापस लाया जाएगा. हमारी एनजीओ ने अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए हैं और उन्हें ग्रुप के माध्यम से भारतीय नागरिक छात्र-छात्राएं आदि हमसे संपर्क साध रहे हैं. हमसे कुछ वीडियो भी उन्होंने साझा किये हैं."
यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजन चिंतित
एक छात्र जुनैद यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. उसके परिजन कनॉट प्लेस स्थित रेलवे कॉलोनी में रहते हैं. जुनैद के छोटी बहन अलीशा और भाई हमाद ने बताया, "उनका भाई एक महीना पहले ही यूक्रेन गया था. उससे पहले वह कोविड की वजह से भारत में ही था. जुनैद से हमारी बात गुरुवार रात ही हुई है. उसका कहना था कि हॉस्टल में लगभग दो - ढाई हजार छात्र-छात्राएं हैं, जो भारत के ही हैं और सभी को हॉस्टल में ही रोका गया है. सभी को बेसमेंट में ही रखा गया है और ये भी कहा गया है कि अगर साइरन बजता है, तो सभी अलर्ट हो जाएंगे. कोई भी हॉस्टल से बाहर नहीं जाएगा. हम लोग इंडियन एंबेसी से भी लगातार संपर्क में है और ये चाहते हैं कि हमारा भाई जल्द से जल्द वापस लौटे."
एक और मामला जान लीजिए
काकुल यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. काकुल की बहन प्रज्ञा ने बताया कि, "वह पिछले 4 साल से यूक्रेन में पढ़ाई कर रही है. लगभग 2 साल पहले वह भारत आई थी और फिर जैसे ही कोविड का असर कम हुआ, वैसे ही वह वापस यूक्रेन लौट गई. उसे आज यानी 25 फरवरी की रात को यूक्रेन से भारत की फ्लाइट लेनी थी, लेकिन अब वहां पर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. जिसकी वजह से यह फ्लाइट कैंसिल हो गई. अब हमें नहीं मालूम है कि वह कब भारत लौट पाएगी."
उन्होंने कहा, "हम बस भारत सरकार से यही अपील कर रहे हैं कि जैसे भी हो जल्द से जल्द यूक्रेन में फंसे सभी छात्र छात्राओं को देश वापस लाया जाए. उन्हें एअरलिफ्ट करवाया जाए क्योंकि ये सभी आने वाले समय में भारत के लिए बेहद काम आने वाले हैं. अधिकतर छात्र छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं और हमारी देश की सेवा में बहुत बड़ा योगदान देने वाले हैं, लेकिन अभी तक हमारी सरकार उन्हें वापस लाने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा पाई है."
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