युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों ने अपना दर्द बयां करते हुए. ये भारतीय छात्र पश्चिमी यूक्रेन में फंसे थे, जिन्हें वापस लाया गया है. इन्होंने अपना अनुभव बताते हुए पूर्वी यूक्रेन में फंसे छात्रों की मदद करने की गुहार लगाई है. 


एअर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान यूक्रेन में फंसे 182 भारतीय को रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से लेकर मंगलवार सुबह मुंबई पहुंचा. इनमें से एक निशी मल्कानी ने मुंबई हवाई अड्डे पर बताया कि वह पश्चिम यूक्रेन की एक यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट हैं, जहां स्थिति थोड़ी बेहतर है. 


उन्होंने कहा, 'हम कई दिन तक अपने हॉस्टल में छुपे थे और फिर वेस्ट बॉर्डर पर पहुंचे. यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों के एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में हजारों छात्रों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां से सड़क पर निकलना बेहद मुश्किल है.' उन्होंने कहा, 'उन छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए और कोशिशें की जानी चाहिए.'


यूक्रेन में पिछले कुछ दिनों का अनुभव पूछने पर उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिंदगी में कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हमसे चार दिन तक हॉस्टल में रहने को कहा था.'


मल्कानी ने कहा, 'हम पश्चिमी सीमा के करीब थे इसलिए पड़ोसी देश रोमानिया पहुंच पाए. भारतीय दूतावास अधिकारियों ने बाकी मदद की और हम घर वापस लौट पाए.' उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों से उनके यूनिवर्सिटी कैंपस में 'कुछ आतंकवादी' थे, लेकिन उन्होंने छात्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.


यूक्रेन से मंगलवार को लौटी एक अन्य छात्रा पूर्वा पाटिल ने भी वापसी के बाद भगवान का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि वह पश्चिमी यूक्रेन के एक इंस्टिट्यूट में पढ़ाई कर रही थीं. उन्होंने कहा, ' मैं बहुत डर गई थी, भगवान की दया से मैं सुरक्षित घर लौट पाई. यह मेरे लिए बड़ी बात है.' उन्होंने बताया कि सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उनकी काफी मदद की.


पाटिल ने कहा, ' पहले हमें हॉस्टल में रहने को कहा गया फिर बंकर में हमने पनाह ली. वहां काफी ठंड थी. तापमान दो डिग्री सेल्सियस के आसपास था. रोमानिया सीमा तक पहुंचने के लिए हमें लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.' केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने मुंबई हवाई अड्डे पर छात्रों का स्वागत किया. रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद भारत युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों को 27 फरवरी से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश ला रहा है. रोमानिया और हंगरी यूक्रेन के पड़ोसी देश हैं.


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