Russia-Ukraine war: यूक्रेन के तरफ से डर्टी-बम के संभावित इस्तेमाल को लेकर रूस ने भारत से चिंता जाहिर की है. बुधवार (26 अक्टूबर) को रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को फोन कर यूक्रेन में बिगड़ते हालात और न्यूक्लियर-बम के संभावित इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी. भारत के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि रूस के रक्षा मंत्री  सर्गेई शोइगू के अनुरोध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर बातचीत की थी.


फोन पर हुई बातचीत में रूस के रक्षा मंत्री ने यूक्रेन के तरफ से डर्टी-बम के इस्तेमाल की आशंका जताई. भारत के रक्षा मंत्री के साथ साथ रूस के रक्षा मंत्री ने डर्टी-बम को लेकर चीन, अमेरिका, फ्रांस और तुर्की जैसे बड़े देशों के रक्षा मंत्रियों को भी आगाह किया है.


क्या है डर्टी बम


दरअसल, डर्टी बम एक टेक्टिकल न्यूक्लियर बम होता है. इसे किसी भी कन्वेशन्ल-हथियार या मिसाइल के वॉर-हेड में परमाणु या फिर कोई रेडियोएक्टिव मैटेरियल भरकर लॉन्च किया जाता है. इसका असर भी किसी परमाणु-बम से कम नहीं होता है. क्योंकि यूक्रेन न्यूक्लियर-पावर नहीं है ऐसे में रूस का आरोप है कि यूक्रेन डर्टी-बम का इस्तेमाल कर सकता है.


रूस के पास इस वक्त छह हजार (6000) से भी ज्यादा परमाणु हथियार हैं. अगर यूक्रेन की तरफ से डर्टी-बम जैसी कोई उकसावे की कार्यवाही हुई तो रूस यूक्रेन को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. यही वजह है कि रूस के रक्षा मंत्री ने सभी बड़े देशों को यूक्रेन की करतूत के बारे में पहले से ही जानकारी शेयर कर रहे हैं.


दुनिया में कितने परमाणु हथियार हैं


स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि (SIPRI) की 'ईयर बुक-2022' के मुताबिक, इस वक्त दुनियाभर में कुल 12 हजार 705 परमाणु हथियार हैं. इनमें सबसे ज्यादा रूस के पास 5 हजार 977 है जबकि अमेरिका के पास 5 हजार 428 हैं. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही रूस कई बार परमाणु हमले की धमकी दे चुका है.


यही वजह है कि जब बुधवार को रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने फोन पर बात की तो राजनाथ सिंह ने साफ तौर से कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों को ही परमाणु विकल्प का सहारा नहीं लेना चाहिए.परमाणु या रेडियोलॉजिकल हथियारों के उपयोग की संभावना मानवता के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के शीघ्र समाधान के लिए भारत एक बार फिर से बातचीत और कूटनीति के मार्ग पर ही चलने की सलाह देता है.


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