EAM In Moscow: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jai Shankar) ने मास्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) के साथ चर्चा के बाद मंगलवार को कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान (Afghanistan) की स्थिति को नहीं भूलना चाहिए और उस देश से संचालित आतंकी समूहों को लेकर चिंता बनी हुई है.
लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने आतंकवाद और इसके सीमा पार प्रारूप सहित अस्थिरता उत्पन्न करने वाले कई कारक गिनाये और कहा कि ये चिंता का बड़ा कारण बने हुए हैं .
'आतंकवाद से नहीं है कोई खतरा'
विदेश मंत्री ने कहा कि लावरोव के साथ चर्चा के दौरान अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठा और इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों को यह सुनिश्चित करने के लिये काम करना चाहिए कि उस देश से आतंकवाद का कोई खतरा नहीं हो .
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया इस बात को नहीं भूले कि अफगानिस्तान की स्थिति क्या है क्योंकि मुझे आज लगता है कि जितना ध्यान उस पर दिया जाना चाहिए उतना नहीं दिया जा रहा है.
'कठिन स्थिति का कर रहे है सामना'
जयशंकर ने कहा कि उस देश में मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है और भारत, अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न, दवा, कोविड रोधी टीके की आपूर्ति कर रहा है क्योंकि वे कठिन स्थिति का सामना कर रहे हैं.
अफगानिस्तान में आतंकवाद को लेकर चिंता की हैं जायज वजहें
कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास आतंकवाद और अफगानिस्तान से संचालित आतंकवाद को लेकर चिंता का उचित कारण है. उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी और यह उचित होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर उसके पड़ोसी देश यह सुनिश्चित करें कि अफगानिस्तान से किसी तरह का आतंकी खतरा नहीं हो .
यूएनएससी में नियमों के पालन की कही बात
जयशंकर ने इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के तहत की गई प्रतिबद्धता का पूरी तरह से पालन करने की जरूरत रेखांकित की. गौरतलब है कि पिछले वर्ष 30 अगस्त को इस वैश्विक निकाय की भारत की अध्यक्षता के दौरान यह प्रस्ताव अंगीकार किया गया था .
दोनों देशों के बीच हो रही है बातचीत
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता के विभिन्न प्रारूपों में भारत और रूस सम्पर्क बनाये हुए हैं. ईरान परमाणु करार के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और अप्रसार को ध्यान में रखते हुए कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए.
जयशंकर ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आगामी सत्र में ईरान (Iran) की संयुक्त समग्र कार्य योजना (जेसीपीओए) के बारे में चर्चा हो सकेगी क्योंकि भारत का मानना है कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और अप्रसार को ध्यान में रखते हुए कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार के साथ सुधार युक्त बहुस्तरीय व्यवस्था से इंकार करना कठिन हो गया है और इस संबंध में हम रूस (Russia) के भारत को समर्थन का स्वागत करते हैं.