नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा पर बीते 100 दिन से अधिक वक्त से जारी तनाव के बीच मॉस्को में पहली बार दोनों देशों के विदेश मंत्री रूबरू होंगे. शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के हाशिए पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच द्विपक्षीय मुलाकात भी अपेक्षित है. एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए जयशंकर मंगलवार सुबह मॉस्को रवाना हो रहे हैं.
मॉस्को में चीनी विदेश मंत्री से अपनी सम्भावित मुलाकात का विदेश मंत्री जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान संकेत दिया. अपनी किताब 'द इंडिया वे' पर आयोजित परिचर्चा के दौरान पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अपने समकक्ष से उनकी क्या बात होगी यह शब्दशः तो नहीं बताया जा सकता. लेकिन इतना स्पष्ट है कि मौजूदा स्थिति में चीन के साथ इस मामले पर गहन राजनीतिक संवाद ज़रूरी है. यह जानना ज़रूरी होगा कि दोनों देशों के बीच 1993 से तय किए गए सीमा प्रबंधन प्रोटोकॉल और उसके बाद हुए सभी समझौतों का क्या भविष्य है. क्योंकि दोनों देश यह कहते रहे हैं कि सीमा पर शांति बनाए रखना रिश्तों को आगे बढाने के लिए ज़रूरी है.
उम्मीद की जा रही है कि दोनों विदेश मंत्रियों की आमने-समने मुलाकात सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए आगे का रास्ता तलाश सकती है. लद्दाख में जारी सीमा तनाव के बीच दोनों विदेश मंत्रियों की पिछली बातचीत गलवान संघर्ष की घटना के बाद हुई थी. फोन पर हुई इस बातचीत के दौरान तनाव घटाने के उपायों पर चर्चा ज़रूर हुई थी. लेकिन इसका ज़मीन पर असर कम ही नज़र आया. बल्कि चीन ने इस दौरान अपने सैन्य जमावड़े में संख्या और दायरा दोनों बढ़ाया.
ज़मीन पर चीनी सेना की ढिठाई को जवाब देने की जुगत में ही भारतीय सेना ने 29/30 अगस्त की रात और 31 अगस्त को त्वरित कार्रवाई करते हुए पेंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी छोर पर कई अहम पहाड़ी चोटियों पर अपने सैनिक राय आठ कर दिए थे.
भारत की कार्रवाई और तैयारी से बिलबिलाए चीन ने अपने बयानों में तोहमत का ठीकरा भारत के सिर फोड़ा. सैन्य कार्रवाई के बाद बीते सप्ताह दोनों देशों के बीच हुई 6 दौर की ब्रिगेडियर रैंक अधिकारियों की चर्चा में भी समाधान का कोई फार्मूला तय नहीं हो सका. क्योंकि चीन न तो अपने सैनिकों कप पीछे लेने को तैयार है और न ही सैन्य जमावड़ा कम करने को.
इस बीच बीते सप्ताह दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की भी मुलाकात मॉस्को में एससीओ रक्षामंत्रियों की बैठक के हाशिए पर हुई थी. हालांकि चीन के आग्रह पर हुई इस बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष वेई फेंगही से हुई चर्चा में न केवल सीमा तनाव की गेंद को चीन के पाले में डाला, बल्कि यह भी दो टूक कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति के लिए ज़रूरी है कि चीन अपने सैनिकों को अप्रैल 2020 तक की स्थिति तक वापस ले. साथ ही बीते करीब चार महीने में बढ़ाए गए अपने सैनिक जमावड़े को भी कम करे.
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