S Jaishankar Australia Visit: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (11 अक्टूबर) को सिडनी में कहा कि भारत के लिए चीन के साथ संबंधों में ढाई साल ‘‘बहुत कठिन’’ रहे, जिसमें 40 साल बाद सीमा पर हुआ पहला रक्तपात भी शामिल है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजिंग के साथ संवाद माध्यम को खुला रखा क्योंकि पड़ोसियों को एक-दूसरे से बात करनी पड़ती है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'चीन के साथ संबंधों में हमारे लिए ढाई साल बहुत कठिन थे, जिसमें 40 साल बाद सीमा पर हुआ पहला रक्तपात शामिल है और जहां हमने वास्तव में 20 सैनिकों को खो दिया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों के बढ़ते महत्व और सुरक्षा-केंद्रित क्वाड (Quad) के सदस्यों के रूप में दोनों देशों के हितों पर लोवी इंस्टिट्यूट में अपनी बात भी रखी.
चीन को लेकर क्या कहा
साल 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास, मेरा प्रयास संवाद माध्यम को चालू रखने का रहा है. वास्तव में, उसके बाद की सुबह, मैंने अपने समकक्ष वांग यी को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि चीनी पक्ष की ओर से कोई तनाव भड़काने वाला या जटिलता पैदा करने वाला काम नहीं किया जाए.’’ उन्होंने कहा कि कूटनीति संचार के बारे में है. यह सिर्फ चीन के साथ संबंधों में नहीं है, यहां तक कि (अन्य देशों) के संबंध में भी ... यदि राजनयिक एक-दूसरे के साथ संवाद नहीं करेंगे, तो वे किस तरह की कूटनीति करेंगे?' उन्होंने कहा कि आखिर में देशों को एक-दूसरे के साथ बात करनी पड़ती है.
'शांति द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण'
एस जयशंकर ने कहा कि भारत लगातार यह कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. गतिरोध को हल करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की है. पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ था. दोनों देशों ने 12 सितंबर को पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से अग्रिम पंक्ति के अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया था और वहां बनाए गए अस्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया था.
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