S Jaishankar in UNGA: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएन में आतंकवाद के मसले पर चीन और पाकिस्तान को फटकार लगाई है. एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में घोषित आतंकवादियों का बचाव करने वाले देश न तो अपने हित और न ही अपनी प्रतिष्ठा को ध्यान में रख रहे हैं. आतंकवाद के किसी भी कृत्य को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता. विदेश मंत्री ने जोर दिया कि भारत यह मांग करता है कि सुरक्षा परिषद में सुधार के गंभीर मुद्दे पर गहन बातचीत होनी चाहिए. 


विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कभी-कभी घोषित आतंकवादियों का बचाव करने की हद तक यूएनएससी-1267 प्रतिबंध व्यवस्था का जो राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे हैं.


आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस- विदेश मंत्री


विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी टिप्पणी चाहे किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे नहीं ढक सकती. उन्होंने कहा कि दशकों से सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत ‘जीरो टॉलरेंस’ के दृष्टिकोण की मजबूती से वकालत करता है. इसके साथ ही यूक्रेन के मसले पर विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष ने खास तौर से भोजन और ऊर्जा पर आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया है.


एस जयशंकर के भाषण की 10 बड़ी बातें



  • भारत यह मांग करता है कि सुरक्षा परिषद में सुधार के गंभीर मुद्दे पर गहन बातचीत होनी चाहिए. UNSC में बेहद जरूरी सुधारों पर बातचीत प्रक्रियागत हथकंडों से बाधित नहीं होनी चाहिए और इसका विरोध करने वाले सदस्य हमेशा के लिए इस प्रक्रिया को रोक कर नहीं रख सकते हैं.

  • आतंकवाद के किसी भी कृत्य को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता. कभी-कभी घोषित आतंकवादियों का बचाव करने की हद तक यूएनएससी-1267 प्रतिबंध व्यवस्था का जो राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे हैं.

  • कोई भी टिप्पणी चाहे किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे नहीं ढक सकती. दशकों से सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत ‘जीरो टॉलरेंस’ के दृष्टिकोण की दृढ़ता से वकालत करता है.

  • भारत बड़ी जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विश्व के एक हिस्से के साथ हुए अन्याय से निर्णायक रूप से निपटा जाए

  • हमारे कार्यकाल में हमने कुछ गंभीर लेकिन विभाजनकारी मुद्दों पर एक पुल के तौर पर काम किया है. हमने समुद्री सुरक्षा, शांति रक्षा तथा आतंकवाद से निपटने जैसे मुद्दों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया.

  • कोरोना के साथ कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. भारत अपनी क्षमता अनुसार पड़ोसियों की मदद कर रहा है. चाहे अफ़ग़ानिस्तान को अनाज उपलब्ध कराना हो या फिर श्रीलंका को आर्थिक मदद देने जैसा कदम हो.

  • क्लाइमेट एक्शन और क्लाइमेट जस्टिस अहम पहलू है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस और आपदा रोधी ढांचागत निर्माण के लिए शुरु किए गए प्रयास समेत कई कोशिशों के साथ भारत किसी भी बहुपक्षीय कोशिश के लिए तैयार है जो न्यायसंगत हो.

  • यूक्रेन में जारी संघर्ष ने विशेष रूप से भोजन और ऊर्जा पर आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा, भारत शांति का पक्षधर है और हमेशा इसका पैरोकार रहेगा.

  • भारत को अगले 25 सालों में विकसित बनाना है. पीएम मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर पांच संकल्प लिए थे. भारत को उपनिवेशवाद से मुक्त करना है. इसका अर्थ है कि भारत बहुध्रुवीय व्यवस्था को बढ़ावा देता है. सांस्कृतिक विरासत को सहेजना. सबके लिए सुरक्षा जिसमें आतंकवाद जैसे ख़तरे से मुक़ाबले के लिए सहयोग शामिल है.


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