Jaishankar In Pakistan: भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंच से फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग दोहराई, ताकि परिषद को बदलते वैश्विक रूपरेखा के अनुरूप ढाला जा सके. इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार (16 अक्टूबर) को एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों के परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि 'बहुराष्ट्रीय संगठनों में सुधार' की सख्त जरूरत है. एससीओ सदस्यों को इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप बैठने की बजाय बदलावों की वकालत करने में भूमिका निभानी चाहिए.


विदेश मंत्री के मुताबिक, सुरक्षा परिषद को दोबारा से ठीक करने का समय आ गया है ताकि यह ज्यादा देशों का प्रतिनिधित्व कर सके, अधिक समावेशी, पारदर्शी, प्रभावी, लोकतांत्रिक और उत्तरदायी बन सके. स्थायी और गैर-स्थायी दोनों जगहों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की जरूरत है. मैं आपको याद दिलाता हूं कि हमने जुलाई 2024 में अस्ताना में स्वीकार किया था कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता व्यापक सुधार के माध्यम से विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर निर्भर है.


SCO समिट में एस जयशंकर की कही 10 बड़ी बातें


पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश


विदेश मंत्री जयशंकर ने आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद को तीन बुराइयां बताते हुए बिना किसी का नाम लिए हुए सीमा पार आतंकवाद पर मेजबान पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा, "सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए इन तीनों मसलों का समाधान निकालने की जरूरत है. अगर सीमा पार से आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद जैसी गतिविधियां होती हैं तो इनसे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क बढ़ावा नहीं मिलती है.


एस जयशंकर ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान को 'अच्छे पड़ोसी' होने का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि अगर विश्वास की कमी है या सहयोग नाकाफी है, दोस्ती में कमी आई है और अच्छे पड़ोसी होने की भावना कहीं गायब है तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और इन समस्याओं का समाधान खोजने की जरूरत है.


क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को दी जाए मान्यता


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को उसी की धरती से नाम लिए बिना मैसेज दिया. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार और संपर्क पहल में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर ‘‘ईमानदारी से बातचीत’’ करना जरूरी है.


विदेश मंत्री ने सम्मेलन में भारतीय रूपरेखा से प्रस्तुत आठ बातों को भी चिह्नित किया, जिसमें एससीओ ढांचे में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को शामिल करना और ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार पर संवाद विकसित करने का फैसला लिया है. अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निष्पक्ष और संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, खुली, निष्पक्ष, समावेशी और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणालियों पर भी जोर दिया.


चार्टर का सख्ती से पालन करे SCO सदस्य राष्ट्र


विदेश मंत्री ने संबोधन में SCO के प्रत्येक सदस्य राष्ट्र की ओर से समूह के चार्टर का सख्ती से पालन किए जाने की जरूरत पर बल दिया और आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के भाव को मजबूत करने के इसके सार पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए न कि एक तरफा एजेंडे पर. 


अगर हम वैश्विक व्यवस्था, खासकर व्यापार और पारगमन के क्षेत्रों में फायदे के हिसाब से चयन करेंगे तो यह (सहयोग) आगे नहीं बढ़ सकता.’’ उनकी इस टिप्पणी को व्यापार और संपर्क सुविधा जैसे अहम मुद्दों पर चीन के आक्रामक व्यवहार के परोक्ष संदर्भ के रूप में दिखाने की कोशिश की.


जयशंकर ने गिनाई तीन बुराइयां


जयशंकर ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी. यह स्वत: सिद्ध है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति के साथ स्थिरता अनिवार्य है. जैसा कि चार्टर में स्पष्ट किया गया है. इसका अर्थ है- ‘‘तीन बुराइयों’’ का मुकाबला करने में दृढ़ रहना और समझौता नहीं करना."


जयशंकर ने कहा कि इस बात पर खुद से सोच-विचार करने की आवश्यकता है कि कहीं ‘‘अच्छे पड़ोसी’’ की भावना गायब तो नहीं है और भरोसे की कमी तो नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम चार्टर के सूत्रों से लेकर आज तक की स्थिति पर तेजी से नजर डालें तो ये लक्ष्य और ये कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि हम ईमानदारी से बातचीत करें. अगर भरोसे की कमी है या पर्याप्त सहयोग नहीं है, अगर मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है तो निश्चित रूप से आत्मावलोकन करने और समाधान खोजने की जरूरत है.’


जयशंकर ने कहा कि SCO का उद्देश्य आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के रूप में संबंधों को मजबूत करना है. इसका उद्देश्य खासकर क्षेत्रीय प्रकृति का बहुआयामी सहयोग विकसित करना है. इसका मकसद संतुलित विकास, एकीकरण और संघर्ष की रोकथाम के मामले में एक सकारात्मक शक्ति बनना है. चार्टर में यह भी स्पष्ट था कि मुख्य चुनौतियां क्या थीं. मुख्य रूप से तीन चुनौतियां थीं, जिनका मुकाबला करने के लिए एससीओ प्रतिबद्ध था पहली- आतंकवाद, दूसरी- अलगाववाद और तीसरी चुनौती-उग्रवाद.’’ 


"वैश्विक संस्थाओं में तालमेल बनाए रखने की जरूरत"


विदेश मंत्री ने वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि वैश्विक संस्थाओं को बदलावों के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत है और उन्होंने ‘‘सुधार के साथ बहुपक्षवाद’’ की जरूरत को रेखांकित किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों के स्तरों पर व्यापक सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि वैश्विक निकाय को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी और कुशल बनाया जा सके. 


"कोविड महामारी ने विकासशील देशों को किया तबाह" 


जयशंकर ने कहा, ‘‘एससीओ को इस तरह के बदलाव की वकालत करने में पीछे हटने के बजाए सबसे आगे रहना चाहिए.’’ उन्होंने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया. हम ऐसे समय में सम्मेलन कर रहे हैं, जब दुनिया कठिनाई के दौर से गुजर रही है. दो बड़े संघर्ष जारी हैं. (इजरायल-हमास युद्ध और रूस-यूक्रेन वॉर) जिनका पूरे विश्व पर असर पड़ रहा है. कोविड महामारी ने विकासशील देशों में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है.’’


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