Doha Forum 2024: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार (7 दिसंबर 2024) को दोहा फोरम में डी-डॉलराइजेशन और वैश्विक कूटनीति पर भारत का पक्ष रखा. इस दौरान एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले का बचाव किया. उन्होंने पूछा कि क्या दुनिया के पास भारत की ऊर्जा मांगों को पूरा करने का कोई बेहतर डील है. 


क्या किसी देश के पास है बेहतर डील- जयशंकर


विदेश मंत्री के रूप में दूसरी बार कार्यभार संभाल रहे एस जयशंकर ने दोहा में कहा, "हां, हमें रूस से तेल मिलता है. जरूरी नहीं कि यह सस्ता हो. क्या किसी देश के पास इससे बेहतर डील है?" रूस इस समय भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है, जो देश के आयात का 35 फीसदी से अधिक है. विदेश मंत्रई जयशंकर ने खाड़ी और भूमध्य सागर क्षेत्र में जंग की स्थिति के कारण भारत सहित सभी देशों पर तेल, उर्वरक और शिपिंग (नौपरिवहन) आदि की लागत में बढ़ातरी पर भी अपनी बातें रखी.


रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले एस जयशंकर


रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एस जयशंकर ने यह समझाया कि भारत कैसे मॉस्को जाकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करके, कीव जाकर, राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत करके, पारदर्शी तरीके से एक-दूसरे को संदेश देकर अपनी कही गई बात पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "हमारा हमेशा से यह मानना ​​रहा है कि इस युद्ध का समाधान मैदान में नहीं होने वाला है. आखिरकार, इस समाधान के लिए मेज पर साथ बैठना होगा. हमारी कोशिश रही है कि दोनों देशों के बीच आसानी से बातचीत शुरू हो जाए."


ग्लोबल साउथ को लेकर बोले विदेश मंत्री


दोहा फोरम के मंच पर बोलते हुए जयशंकर ने साफ किया कि भारत के पास इस जंग को हल करने के लिए कोई शांति योजना नहीं है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच ईमानदार और पारदर्शी बातचीत होती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत 125 अन्य देशों की भावनाओं और ग्लोबल साउथ के हितों को व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने पाया है कि इस युद्ध से उनकी ईंधन लागत, उनकी खाद्य लागत, उनकी मुद्रास्फीति, उनके उर्वरक की लागत प्रभावित हुई है.


ये भी पढ़ें : 'संसद में सत्ता वाले और विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहे' आज दिल्ली कूच करेगा 101 किसानों का जत्था