(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत ने विशेष विमान वुहान भेजने से पहले पाक समेत सभी को दिया था मदद का प्रस्ताव- विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि पाकिस्तान को मदद की पेशकश की थी. बता दें कि भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए दो विशेष विमान चीन भेजा है. 2 फरवरी को भारत ने मालदीव के सात नागरिकों को सुरक्षित निकाला.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की महामारी के बीच चीन के वुहान में फंसे पाकिस्तानी छात्रों का दुःख और बढ़ जाएगा जब उन्हें ये पता लगेगा कि भारतीय विमान उनको भी निकाल सकता था अगर पाक सरकार भारत की पेशकश स्वीकार कर लेती. दरअसल, भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए दो विशेष उड़ाने भेजने से पहले इस मदद की पेशकश अपने पड़ोसी मुल्कों को भी भेजी थी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि पड़ोसी मुल्कों को यह प्रस्ताव दिया गया था कि भारत के पास क्षमता है और यदि वो चाहें तो उनके नागरिकों को भी हम अपने विमान से निकाल सकते हैं. मगर केवल मालदीव ने इस प्रस्ताव का लाभ उठाया. महत्वपूर्ण है कि 2 फरवरी की सुबह भारत पहुंची दूसरी विशेष फ्लाइट में मालदीव के सात नागरिक भी सुरक्षित निकालकर लाए गए. इन्हें 14 दिन के अनिवार्य संरोधन प्रक्रिया के तहत भी भारत में ही रखा गया है.
हालांकि भारत ने अब भी इस मानवीय आपदा में पाक की मदद के लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा 6 फरवरी को दिए बयान में कहा था कि यूं तो फिलहाल पाकिस्तान सरकार की तरफ से सहायता के लिए कोई आग्रह नहीं मिला है. मगर यदि ऐसा होता है तो भारत वुहान में मौजूद पाकिस्तानी छात्रों को निकालने पर भी विचार कर सकता है.
गौरतलब है कि वुहान शहर के कॉलेज और विश्विद्यालयों में पढ़ने वाले पाकिस्तानी छात्रों ने सोशल मीडिया वीडियो के ज़रिए यह नाराज़गी जताई कि जहां भारत सरकार अपने मुल्क के छात्रों को विशेष विमान भेजकर निकाल रही है वहीं पाक सरकार सुध भी नहीं ले रही. ध्यान रहे कि पाकिस्तान सरकार कोरोना संक्रमण संकट के बीच अपने छात्रों व अन्य नागरिकों को चीन से निकलने की संभावना को फिलहाल नकार चुकी है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत के अब भी 80 नागरिक वुहान में हैं. इसमें 10 छात्र भी शामिल हैं जिन्हें बुखार के कारण चीन के अधिकारियों ने विमान में बैठने की इजाजत नहीं दी थी. साथ ही करीब 70 लोग ऐसे लोग हैं जिन्होंने स्वतः ही वुहान से नहीं आने का फैसला किया. हालांकि डॉ जयशंकर ने सदन में आश्वासन दिया कि बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास सभी छात्रों और दूसरे भारतीय नागरिकों के संपर्क में हैं.
इस बीच भारत अपने यहां कोरोना संक्रमण के खिलाफ बचाव के इंतजाम मजबूत करने के साथ साथ कई पड़ोसियों की मदद भी लगतार मदद कर रहा है. संसद में शुक्रवार को दिए एक बयान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत पड़ोसी मालदीव को कोरोना वायरस के सैंपल परीक्षण की सुविधा दे रहा है. साथ ही इस बाबात अफगानिस्तान के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया गया है. इतना ही नहीं भूटान को भी इस संक्रमण से बचाव के उपायों में भारत तकनीकी सहायता दे रहा है. हम सभी आवश्यक प्रयास कर रहे हैं जिससे इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके.