S Jaishankar On China: सेंटर फॉर कंटेम्पररी चाइना स्टडीज (CCCS) ने मंगलवार को एक सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने भी हिस्सा लिया और अपने संबोधन में भारत-चीन से जुड़े तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी. एस जयशंकर ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन, शांति भारत और चीन के बीच सामान्य संबंधों का आधार बनी हुई है. सीमा विवाद (Border Dispute) के बाद भारत-चीन संबंधों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल संबंधों और एशिया की संभावनाओं दोनों के लिए गंभीर चुनौती का दौर रहा है. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि मौजूदा गतिरोध को जारी रखने से भारत या चीन को कोई फायदा नहीं होगा.
एस जयशंकर ने कहा, "दोनों देशों को अपने संबंधों को लेकर एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना चाहिए और ये दिखना भी चाहिए." उन्होंने कहा कि चीन के साथ अधिक संतुलित और स्थिर संबंध की दिशा में भारत की तलाश हमें कई डोमेन और कई विकल्पों की ओर ले जाती है. 2020 की घटना को देखते हुए वे स्पष्ट रूप से सीमा की प्रभावी रक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यह विशेष रूप से कोविड के बीच भी किया गया था.
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में भारत को प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना चाहिए. विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि चीन-भारत संबंध तीन परस्पर बिंदुओं पर आधारित होने चाहिए: पारस्परिक संवेदनशीलता, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक हित.
उन्होंने आगे कहा, "2020 के बाद भारत और चीन के बीच समझौता आसान नहीं है. फिर भी, यह एक ऐसा कार्य है जिससे दूर नहीं रहा जा सकता है."
'हमें प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहना चाहिए'
भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि गहरे संबंध बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हितों की बेहतर समझ को बढ़ावा देने से देश मजबूत होता है. विदेश मंत्री ने कहा, "हमें और अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहना चाहिए, विशेष रूप से हमारे मौजूदा दायरे में." विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार करना चाहिए और कहा कि आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है.
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