PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में दिए गए भाषण को लेकर 'सामना' में निशाना साधा गया. इसके संपादकीय में कहा गया, 'दो घंटे के भाषण में पीएम मोदी सिर्फ तीन मिनट मणिपुर पर बोले. बाकी का उन्होंने वही रटा रटाया कांग्रेस पुराण सुनाया.' सामना में लिखा गया कि बीजेपी को अब दूसरा प्रोडक्ट देखना चाहिए. मोदी की एक्सपायरी डेट 2024 तक ही है. इसमें कहा गया कि 2024 में मोदी का सूरज नहीं उगेगा. वे सूर्य के मालिक नहीं हैं.
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में कहा गया कि ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के कारण प्रधानमंत्री को लोकसभा में आकर बोलना पड़ा. कांग्रेस पर पीएम मोदी के हमले का जिक्र करते हुए सामना ने लिखा, 'पंडित नेहरू की वैश्विक आभा और स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के काम मोदी के लिए यातना की तरह हैं. दस साल सत्ता में रहने के बाद भी मोदी इस यातना से उबर नहीं पाए हैं.'
अविश्वास प्रस्ताव ने उतार दिए मुखौटे- सामना
संपादकीय में अखबार आगे लिखता है, 'मणिपुर समस्या का ठीकरा उन्होंने पंडित नेहरू पर फोड़ा, तो फिर पिछले दस वर्षों में सत्ता में रहकर आपने क्या किया? दस वर्ष प्रधानमंत्री रहने के बावजूद मणिपुर का ठीकरा नेहरू पर फोड़ना यह राजनीतिक दिवालियापन ही है.'
इसमें कहा गया, 'पीएम मोदी ने संसद में कहा था, मणिपुर में जल्द की शांति का सूरज उगेगा. इस पर तंज कसते हुए अखबार ने लिखा, जब आप कहेंगे उगने के लिए, तभी उगेगा. क्या सूर्य पर बीजेपी का मालिकाना हक है? अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कइयों के मुखौटे उतर गए और सत्ता पक्ष का चिड़चिड़ापन सभी के सामने आ गया. राहुल गांधी का भाषण ही इस चिड़चिड़ेपन की मुख्य वजह रही. आज राहुल गांधी दस साल पहले वाले नहीं रहे.'
अमित शाह को बताया मोदी की निजी जरूरत
सामना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा गया और लिखा गया कि शाह मोदी की निजी जरूरत की वजह से गृह मंत्री के पद पर बैठे हैं. तानाशाह को अपने गैरकानूनी आदेशों को लागू करवाने के लिए एक करीबी हवलदार की जरूरत पड़ती है.
अखबार ने पीएम मोदी के भाषण को निशाने पर लिया और लिखा कि मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी ने राजनीति नहीं करने का आह्वान किया. मोदी ने 2 घंटे 13 मिनट मिनट का भाषण किया, जिसमें से 2 घंटे 10 मिनट राजनीति पर बोले और बचे 3 मिनट मणिपुर के लिए थे.
मणिपुर को लेकर पीएम पर निशाना
पीएम ने कहा था, 'पूर्वोत्तर भारत से मेरा खुद का भावनात्मक नाता है.' इस बयान पर अखबार ने कहा, 'यदि इतने भावनात्मक नाते-रिश्ते हैं तो फिर मणिपुर में जब निर्वस्त्र कर महिलाओं के बार-बार जुलूस निकाले जा रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी की भावनाएं क्यों जम गई थीं? यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया होता तो मोदी मणिपुर का मौन कभी नहीं तोड़ते. मोदी को आखिरकार मणिपुर पर मुंह खोलना पड़ा और अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य सफल हो गया.'
संपादकीय के आखिर में कहा गया कि बीजेपी के पास मोदी और दंगे के सिवा कोई दूसरा प्रोडक्ट हो तो बाजार में उतारे. इस प्रोडक्ट की 'एक्सपायरी डेट' 2024 तक है. इसके बाद भारत का राजनैतिक बाजार पूरी तरह से बदल चुका होगा.
मणिपुर पर अपना अभिभाषण यदि उन्होंने संसद के दोनों सदनों में किया होता तो ‘इंडिया’ पक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाना नहीं पड़ता और मोदी को इस उम्र में 2 घंटे 13 मिनट तक चिड़चिड़ नहीं करनी पड़ती. मोदी ने अपने भाषण से कांग्रेस को बड़ा बना दिया. 2024 में उनका सूर्य नहीं उगेगा, यह उनके भाषण ने पक्का कर दिया.
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