महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को घेरा है. गुरुवार (25 जनवरी, 2024) को पार्टी के मुखपत्र सामना में "अयोध्या में क्या चल रहा है?…नए पंडों के कब्जे में भगवान!" शीर्षक वाला संपादकीय छपा. लेख में कहा गया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़ा समारोह भगवान राम का कम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अधिक लग रहा था. वहां पर प्रभु राम का मंदिर बन रहा है या फिर पीएम मोदी का?...बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल है. ऐसे में उद्धव ठाकरे ने नासिक में भाजपामुक्त श्रीराम का आह्वान किया और वह सही ही है.   


सामना के संपादकीय में आगे दावा किया गया- अब राम मंदिर पर भाजपा के पंडों का कब्जा होगा और वहां आस्था की राजनीतिक चोरी होगी तो प्रभु राम को भाजपा से मुक्त कराना होगा. भाजपा को वोट देने वालों को अयोध्या के रामलला के मुफ्त में दर्शन कराने जैसे सुभाषित फूल भाजपा के नेता बरसा ही चुके हैं. ऐसे में भक्तों को श्रीराम के अस्तित्व की चिंता सता रही है. आस्था के इस बाजार को सजाकर भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है और वही तस्वीर महाराष्ट्र में भी दिख रही है. महाराष्ट्र में प्राण प्रतिष्ठा के शुभ दिन पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री क्या कर रहे थे?


लेख के मुताबिक, "मुख्यमंत्री मिंधे (एकनाथ शिंदे) पूजा आदि कर रहे थे. ‘पाव’ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पूरे दिन ताल और भजन में डूबे दिखे लेकिन दूसरे उप-मुख्यमंत्री अजित पवार समारोह और श्रद्धा कार्यक्रम में कहीं नजर नहीं आए. न तो उन्होंने पूजा की, न ही आरती की थाली घुमाई. डिप्टी-सीएम अजीत पवार मोदी के धार्मिक एजेंडे से दूर ही रहे जबकि पूरा राज्य राम भजन में डूबा था. वे उस दिन कहीं नजर ही नहीं आए या फिर उन्होंने भी अकेले में मोदीमुक्त राम का भजन शुरू कर दिया है? श्रीराम भक्ति के ऐसे विविध रूप राज्य में दिखाई दिए."




एडिटोरियल में आगे कहा गया कि राम मंदिर तो बन गया. अब देश और जनता के काम की बात करें पर महाराष्ट्र की या देश की मोदी सरकार ‘काम’ के बारे में बात करने के लिए तैयार नहीं है. भाजपा इस बात से खुश है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ रही है. लाखों की संख्या में जत्थे राम जन्मभूमि की ओर निकल रहे हैं और ये आम श्रद्धालु हैं. इसमें किसानों, मजदूरों और बेरोजगार युवाओं की तादाद ज्यादा है. राम के दर्शन हो जाने पर भी उनके हाथों को काम, किसानों को उनके उपज की कीमत सरकार को ही देनी होगी. 


सामना के लेख के अनुसार, "आए दिन किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं. क्या राम मंदिर समारोह उसका समाधान है? महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार जंगल की आग की तरह बढ़ गया है. श्रीराम इसे स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन भ्रष्ट हाथ वहां बैठकर श्रीराम के भजन में ताल बजा रहे हैं. महाराष्ट्र में यह ढोंग अजीब है. महाराष्ट्र में धूर्त भेड़ियों का साम्राज्य है और राष्ट्रवाद की खाल पहने लोग देश पर शासन कर रहे हैं. श्रीराम उनके बीच फंसे हैं. तस्वीर कुछ ऐसी है कि अयोध्या की अगली लड़ाई भाजपामुक्त श्रीराम के लिए लड़नी पड़ेगी."


शिवसेना के मुखपत्र में आगे यह भी कहा गया कि आम लोगों ने राम के लिए बलिदान दिया. उन राम के सूत्र पाखंडियों और धूर्त भेड़ियों के हाथ आ गए. मंदिर भ्रष्टाचार और पाखंड से मुक्त होने चाहिए. अयोध्या में जो चल रहा है उस पर और क्या भगवान नए पंडों के कब्जे में चले गए हैं, इस पर बारीकी से गौर करना होगा. भक्तों को ही राम का दम घुटने से बचाना होगा.