न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर हुई दक्षिण एशियाई विदेश मंत्रियों की बैठक भारत-पाक रिश्तों पर तारी तल्खी की भेंट चढ़ गई. भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दक्षिण एशिया में बढ़ते आतंकवाद के खतरे से आगाह क्या किया कि इस मुद्दे पर भड़के पाकिस्तानी विदेशमंत्री ने तोहमतों की झड़ी लगा दी. पाक विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संवाद की प्रक्रिया में सबसे बड़ा रोड़ा भारत बना हुआ है.


वैसे पाकिस्तानी विदेश मंत्री के इन तेवरों की बानगी न्यूयॉर्क के विस्टिन होटल में दोपहर-भोज पर हुई इस बैठक से पहले ही मिल गई थी. भारतीय विदेश मंत्री से रूबरू होने और उनका भाषण सुनने से पहले ही पाक विदेश मंत्री ने भारत के खिलाफ तल्ख ट्वीट कर आरोप लगा दिए थे. कुरैशी ने अपने ट्वीट में भी भारत को दक्षिण एशिया की संवाद प्रक्रिया में सबसे बड़ी रुकावट करार दिया था. बैठक के बाद भी भारत के खिलाफ तेजाबी लहजे में कुरैशी ने कहा कि आज यह कहते हुए मुझे कोई हिचकिचाहट नहीं है कि इस क्षेत्र की तरक्की में बेहतरी में केवल एक रुकावट है. एक मुल्क का रवैया सार्क की भावना को नाकाम कर रहा है.


हालांकि भारतीय खेमे ने कुरैशी के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि भारत सार्क के प्रति गंभीर नहीं है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में सार्क की अनेक परियोजनाओं और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर दिया. साथ ही सार्क की कामयाबी के प्रति भारत के संकल्प को भी जताया. सूत्रों का कहना था कि पाक विदेश मंत्री के आरोपों के विपरीत अनेक सार्क परियोजनाएं पाकिस्तान के कारण अटकी हुई हैं. सार्क उपग्रह जैसी परियोजना में भी पाकिस्तान शरीक नहीं हुआ. इसके अलावा क्षेत्रीय हवाई संपर्क के लिए भारत की तरफ से सुझाए गए प्रस्ताव पर भी पाकिस्तान की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. ऐसे में सार्क को लेकर भारत की नीयत पर सवाल नहीं उठाए जा सकते.


सुषमा के जल्दी जाने पर कुरैशी का कटाक्ष
भारतीय विदेश मंत्री के बैठक से जल्दी चले जाने पर भी तंज कसते हुए कुरैशी ने कहा कि उनका रवैया इतना सकारात्मक था कि वो बीच बैठक में उठकर चली गईं. हो सकता है तबियत नासाज हो. तल्खी के साथ पाक विदेश मंत्री ने कहा कि बैठक में भारतीय विदेश मंत्री की बात मैंने पूरे गौर से सुनी जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की बात की. लेकिन मेरा सवाल है कि क्षेत्रीय सहयोग मुमकिन कैसे होगा? जब रीजन वाले लोग मिल-बैठने को तैयार हैं और आप उस बैठक में रुकावट बन रहे हैं. मुझे समझाइए कि इस क्षेत्र की और इस क्षेत्रीय सहयोग को आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है?


बैठक के बाद मीडिया से रूबरू पाक कुरैशी ने भारतीय विदेश मंत्री के जल्दी चले जाने पर तो निशाना साधा लेकिन उनसे पहले बैठक से निकले अफगानिस्तान और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों का जिक्र तक नहीं किया. इस बीच भारतीय विदेश मंत्री के जल्दी जाने के बारे में पूछे जाने पर सरकारी सूत्रों का कहना था कि कुछ पूर्व निर्धारित बैठकों के चलते सुषमा स्वराज पूरे समय नहीं रुक पाईं.बैठक में उनके प्रतिनिधि के तौर पर विदेश सचिव विजय गोखले पूरे समय मौजूद थे.


सूत्रों के मुताबिक बहुपक्षीय बैठकों में अक्सर यह होता है कि नेता अपना भाषण देने के बाद अपने प्रतिनिधियों को वहां छोड़कर चले जाते हैं. इसमें कुछ भी असामान्य नहीं. सार्क विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में वर्णक्रम से भाषण दिए जा रहे थे. भारतीय विदेश मंत्री से पहले अफगानिस्तान और बांग्लादेश के विदेश मंत्री भी अपना भाषण देकर चले गए थे.


आतंकवाद पर भारत की चिंता को बताया खयाली मुद्दा
आतंकवाद के मुद्दे पर एबीपी न्यूज के सवाल का जवाब देते हुए कुरैशी ने कहा कि भारत की यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती की क्षेत्रीय माहौल ठीक होने तक सार्क शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता. पाक विदेश मंत्री का कहना था कि माहौल की बेहतरी का कोई एक पैमाना नहीं हो सकता क्योंकि यह हर देश और व्यक्ति के लिए अलग होता है. इतना ही नहीं पाक विदेश मंत्री ने कहा कि भारत केवल एक खयाली मुद्दे बनाकर सार्क की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ने दे रहा.


दरअसल, भारतीय विदेश मंत्री ने अपने भाषण में भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया था. सुषमा स्वराज ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए शांति और सुरक्षा का माहौल जरूरी है. दक्षिण एशिया की सुरक्षा को संकट में डालने वाली घटनाएं और खतरे बढ़े हैं. आतंकवाद आज भी दक्षिण एशिया और पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. ऐसे में जरूरी है कि हम आतंकवाद और उसका समर्थन करने वाले पर्यावरण का बिना किसी भेदभाव खात्मा करें.


नहीं तय हो पाई अगले सार्क शिखर सम्मेलन की तारीख
बैठक के दौरान अगले सार्क शिखर सम्मेलन की तारीखें तय न हो पाने को लेकर भी कुरैशी खासी बौखलाहट में नजर आए. पाक विदेश मंत्री ने कहा कि जब सार्क की बैठक की तारीखें तय नहीं हो पा रही तो कोई सहयोग कैसे संभव है. महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान 19वें सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी का दावा पेश कर चुका है. मगर 2016 में आतंकवाद के मुद्दे पर टली यह बैठक अभी तक नहीं हो पाई है.


सूत्रों के मुताबिक न्यूयॉर्क में हुई सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक के एजेंडा में यह विषय रखा गया था लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई. बैठक में मौजूद भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर माहौल बेहतर होने तक भारत सार्क शिखर सम्मेलन के हक में नहीं है. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री बयानों में कुछ भी कहें लेकिन हकीकत में वो भी जानते हैं कि माहौल सुधरने के क्या मायने हैं. सीमा-पार आतंकवाद जब तक बंद नहीं होता, आतंकी हमले और आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाहें खत्म नहीं होती तब तक क्षेत्र में अमन कैसे कायम हो सकता है?


गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे टकराव और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ-साथ बांग्लादेश और अफगानिस्तान की चिंताओं के कारण सार्क की गाड़ी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है. पिछला सार्क शिखर सम्मेलन नवंबर 2014 में हुआ था. उसके बाद बीते दो सालों से सार्क शिखर सम्मेलन की तारीखों को लेकर रस्साकशी चल रही है.वहीं कई विकास परियोजनाओं और आर्थिक साझेदारी के प्रस्तावों पर भी बात आगे नहीं बढ़ पा रही है.