सबरीमलाः केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर का कपाट शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खोल दिया गया. मंदिर के तंत्री (मुख्य पुरोहित) कंडरारू महेश मोहनरारू ने सुबह पांच बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और पूजा अर्चना की. केरल के पथनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित मंदिर में केरल, तमिलनाडु और अन्य पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे.


महिलाओं को भेजा गया वापस


इस बीच दर्शन के लिए जा रही 10 महिलाओं को पम्बा से वापस भेज दिया. सभी महिलाएं आंध्र प्रदेश से चलकर मंदिर में दर्शन के लिए जा रही थीं. सभी महिलाओं की उम्र 10-50 साल के बीच है. वहीं एक पुरुष श्रद्धालु ने कहा, ''महिलाओं को मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट भगवान से बड़ा नहीं है.''


तंत्री के 'पदी पूजा' करने के बाद श्रद्धालु, जिन्हे दो बजे दोपहर को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई, वे इरुमुडीकेट्टू (प्रसाद की पवित्र पोटली) के साथ मंदिर के पवित्र 18 सोपन पर चढ़ कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे. नए तंत्री एके सुधीर नम्बूदिरी (सबरीमाल) और एमएस परमेश्वरन नम्बूदिरी (मलिकापुरम) ने बाद में पूजापाठ की जिम्मेदारी ली.


सुप्रीम कोर्ट का आदेश


पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चे की सरकार की ओर से इसका कड़ाई से लागू करने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जम कर प्रदर्शन किया था.


हालांकि, इस साल सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई. लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात जजों के बड़े बेंच ने को भेज दिया. साथ ही, सरकार भी इस विषय पर सावधानी बरत रही है.


देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने साफ कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का जगह नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी. वहीं, 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं.


सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए अब तक इतनी महिलाओं ने किया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन


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