Kerala High Court Hearing On Sabarimala: केरल हाईकोर्ट ने सबरीमाला-मलिकाप्पुरम मंदिरों के मेलशांति (मुख्य पुजारी) के रूप में नियुक्ति के लिए केवल मलयाला ब्राह्मणों से आवेदन आमंत्रित करने वाली त्रावणकोर देवासम बोर्ड की अधिसूचना को बरकरार रखा है. कोर्ट ने इस अधिसूचना के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
लीगल न्यूज वेबसाइट 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजितकुमार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अधिसूचना में निर्धारित शर्तें "अस्पृश्यता" होंगी और संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन करेंगी.
मंदिर के फैसले के खिलाफ उचित दलील नहीं दे पाए याचिकाकर्ता
जस्टिस ने बताया कि हम मौलिक अधिकारों और धार्मिक अधिकारों के बीच अंतरसंबंध पर याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए तर्कों पर फैसला नहीं सुना रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि याचिकाओं में उचित दलीलों का अभाव है. कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि ये मुद्दे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेडिंग सबरीमाला संदर्भ में फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
मंदिर प्रबंधन फैसले लेने के लिए अधिकृत'
कोर्ट ने साफ किया कि मंदिर प्रबंधन पुजारी के संबंध में फैसला लेने के लिए अधिकृत है. फैसले में हाईकोर्ट ने कहा, "त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड और उसके सदस्यों के कर्तव्य पूरी तरह से प्रशासनिक हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि धार्मिक संस्थानों में मान्यता प्राप्त प्रथाओं के अनुसार नियमित पारंपरिक संस्कार और समारोह हों. इसमें कहा गया कि मंदिर प्रबंधन तंत्री शास्त्रों के अनुसार पूजा और धार्मिक समारोहों के उचित संचालन के लिए जिम्मेदार हैं. यह आस्था से जुड़ी बात है और इसी लिहाज से देखी जाएगी.
क्या है मामला?
दरअसल, सबरीमाला मंदिर को लेकर त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई है जिसमें मुख्य पुजारी यानी मेलसंथिस की नियुक्ति पर स्थिति स्पष्ट की गई है. इसमें साफ कहा गया है कि केवल मलयाली ब्राह्मण ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी और दावा किया गया था कि यह अस्पृश्यता को बढ़ाने वाला है.
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