अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने वापस गुजरात हाई कोर्ट भेजा है. महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने याचिका के जरिए कहा था कि नए निर्माण से साबरमती आश्रम की पवित्रता और सादगी प्रभावित हो सकती है. तुषार गांधी ने यह भी कहा था कि हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार से विस्तृत जवाब मांगे बिना उनकी याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय ले.


क्या है मामला?


गुजरात सरकार अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे महात्मा गांधी के आश्रम क्षेत्र का दोबारा विकास करना चाहती है. इस परियोजना के तहत आश्रम के 55 एकड़ क्षेत्र में फैली 48 जर्जर इमारतों को उनके मूल स्वरूप में लाया जाना है. तुषार गांधी ने 1200 करोड़ रुपए की इस परियोजना का हाई कोर्ट में विरोध किया था. 21 नवंबर 2021 को मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार के एडवोकेट जनरल ने हाई कोर्ट को बताया था कि आश्रम की पहचान प्रभावित होने की आशंका गलत है.


एडवोकेट जनरल ने हाई कोर्ट को बताया था कि पूरे परिसर के मध्य क्षेत्र में लगभग 1 एकड़ में जो 3 सबसे अहम इमारतें हैं, उन्हें छुआ भी नहीं जा रहा है. यह 3 इमारतें हैं- गांधी आश्रम, संग्रहालय और मगन निवास. हाईकोर्ट ने इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले का निपटारा कर दिया था.


सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?


हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तुषार गांधी ने कहा कि उनकी याचिका पर उचित सुनवाई नहीं हुई. उनकी तरफ से उठाए गए बिंदुओं पर राज्य सरकार से जवाब नहीं लिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि आश्रम की देखभाल करने वाले ट्रस्ट 'गांधी स्मारक निधि' की स्थापना करते समय यह प्रावधान किया गया था कि आश्रम में कोई सरकारी दखल नहीं होगा. 


मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि अगर ऐसा है तो मामले की हाई कोर्ट में ही सुनवाई की संभावना पर विचार करना चाहिए. गुजरात सरकार के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार हाई कोर्ट में जवाब दाखिल करने को तैयार है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस हाई कोर्ट भेज दिया.


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