नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर संग्राम जारी है. महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई देर रात कोच्चि एयरपोर्ट पहुंची. देसाई ने छह अन्य महिलाओं के साथ सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का एलान किया है. देसाई के कदम के खिलाफ भारी प्रदर्शन हो रहे हैं. महिलाओं की एंट्री का विरोध कर रहे संगठन देर रात से ही एयरपोर्ट के बाहर डटे हैं. तृप्ति देसाई फिलहाल एयरपोर्ट पर हैं.


उन्होंने हमले की आशंका जताई है. देसाई ने कहा, ''प्रदर्शनकारियों को हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए. एक बार जब हम वहां (सबरीमाला मंदिर) पहुंच जाएंगे, तो हम देखेंगे कि किस स्तर की सुरक्षा राज्य सरकार ने मुहैया करवाई है. मुझपर हमला किया जा सकता है. मुझे जान से मारने की कई धमकियां मिली है.''





देश के कई मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने में तृप्ति की अहम भूमिका रही है. सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर तीसरी बार आज शाम खुलने जा रहा है और देसाई ने 17 नवंबर को यानि कल मंदिर में घुसने का एलान किया है. प्रदर्शनों को देखते हुए मंदिर के आधार शिविर निलक्कल और पंबा में धारा 144 लागू कर दी गई है.






बीजेपी नेता की चेतावनी
एयरपोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रहे बीजेपी नेता एमएम गोपी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो, पुलिस या सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल किया जाए, हम तृप्ति देसाई को एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने देंगे. सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा है कि वह छह अन्य महिलाओं के साथ 17 नवंबर को मंदर जाएंगी. उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी है.


क्यों है विवाद?
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के लिए आदेश दिया था. इससे पहले मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं की एंट्री प्रतिबंधित थी. मंदिर प्रशासन और धार्मिक संगठनों का कहना है कि इस उम्र की महिलाएं पीरियड्स (माहवारी) आते हैं और उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ भारी प्रदर्शन हुए हैं. इसकी वजह से महिलाएं अब तक मंदिर में प्रवेश नहीं पा सकी हैं.


कल हुई थी सर्वदलीय बैठक
सबरीमला मंदिर में माहवारी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने पर चल रहे गतिरोध का समाधान करने के लिए कल बुलायी गयी अहम बैठक में कोई सहमति नहीं बन पायी. केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने पर अड़ा रही जिस पर विपक्ष बैठक से चला गया. तीन घंटे तक चली बैठक के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रार्थना के वास्ते सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर को लागू करने के लिए बाध्य है क्योंकि उस पर कोई स्थगन नहीं लगा है.


सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट दोबारा करेगा विचार, 22 जनवरी को सुनवाई


मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘‘सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि 28 सितंबर के फैसले पर कोई स्थगन नहीं लगाया गया है. इसका मतलब है कि 10-50 साल उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने का अधिकार है.’’


कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और बीजेपी के प्रतिनिधि इस अहम बैठक से चले गये. यह सर्वदलीय बैठक दो महीने तक चलने वाले तीर्थाटन सीजन के लिए मंदिर के 17 नवंबर को खुलने से पहले बुलायी गयी थी. इस सीजन में लाखों श्रद्धालुओं के सबरीमला मंदिर में पहुंचने की संभावना है. विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया . बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पी एस श्रीधरण पिल्लै ने बैठक को समय की बर्बादी बताया.


इस बीच, मंदिर से संबद्ध पंडलाम राज परिवार ने विजयन से कहा कि मंदिर के रीति-रिवाज और परंपराओं के संबंध में उसके रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है और वह युवतियों के प्रवेश के विरुद्ध है. सर्वदलीय बैठक में विजयन ने इस मांग को खारिज कर दिया कि सरकार अदालत से उसके आदेश को लागू करने के लिए समय मांगे क्योंकि कई समीक्षा याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होने की संभावना है. अदालती आदेश को लागू करने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य में कांग्रेस, बीजेपी, आरएसएस और दक्षिणपंथी संगठनों के कई प्रदर्शन हो चुके हैं.