Congress Working Committee: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर रविवार (20 अगस्त) को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्यों के नामों का ऐलान किया गया. इसमें सचिन पायलट को भी शामिल किया गया है. उन्हें इस साल के अंत में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीडब्ल्यूसी में जगह दी गई है. वह काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, पायलट को किसी बड़े राज्य का इन-चार्ज बनाया जा सकता है. 


सचिन पायलट के अलावा सीडब्ल्यूसी में शशि थरूर, दीपा दास मुंशी और सैयद नासिर हुसैन को भी शामिल किया गया है. सीडब्ल्यूसी के कुल 39 सदस्यों में से केवल तीन सदस्यों की उम्र 50 वर्ष से कम हैं और सचिन पायलट उनमें से एक हैं.


2018 से सचिन-गहलोत में विवाद
सचिन पायलट और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही विवाद चल रहा है. पायलट ने सीएम गहलोत पर बीजेपी नेता और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था. 


इसके बाद पायलट ने पार्टी के 18 विधायकों के साथ गहलोत के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. ऐसी अफवाहें भी सामने आने लगीं थी कि बीजेपी गहलोत विरोधी खेमे से बातचीत कर रही है. हालांकि, पायलट और उनके वफादारों ने इस दावे का खंडन किया था. इसके बाद सचिन पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के कांग्रेस आलाकमान के आश्वासन के बाद राजनीतिक संकट समाप्त हो गया था.


गहलोत समर्थक विधायकों ने किया विवाद
उस बीच ऐसी खबरें सामने आई थीं कि कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है और उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इसके चलते एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया. तब अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने विद्रोह का झंडा उठाया. अशोक गहलोत की टीम से जुड़े विधायक चाहते थे कि पार्टी की कमान मिलने पर भी गहलोत राजस्थान के सीएम बने रहें.


अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
बता दें कि पिछले दिनों पायलट ने जयपुर में धरना भी दिया था. उस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अब तक के कार्यकाल में कोई कार्रवाई नहीं की है, जिनके आधार पर वो सत्ता में आई थी. सचिन पायलट लंबे समय से राज्य में पिछली बीजेपी सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग कर रहे हैं.


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