राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा उठाए सचिन पायलट ने सोमवार को राहुल गांधी से मुलाकात की. नई दिल्ली स्थित राहुल गांधी के सरकारी आवास पर हुई मुलाकात लगभग दो घन्टे चली, इस दौरान प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं. राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट खत्म होने की कगार पर है और पायलट की सम्मानजनक घर वापसी का रास्ता लगभग तैयार हो चुका है.


सूत्रों के मुताबिक शुरू से ही प्रियंका गांधी सचिन पायलट के संपर्क में थीं. पायलट पर कार्रवाई और मामला अदालत में जाने के बाद बातचीत टूट गई थी लेकिन पिछले दिनों सचिन पायलट ने प्रियंका गांधी से फिर बात की और जाहिर किया कि वह राहुल गांधी से मिलना चाहते थे. सोमवार को पायलट को राहुल से मिलने का समय मिला. सूत्रों के मुताबिक राहुल से मुलाकात में पायलट ने कहा कि उनका मतभेद गहलोत से है, कांग्रेस से नहीं. पायलट ने कहा कि उन्होंने कोई भी पार्टी विरोधी बयान नहीं दिया. पायलट की पूरी बात सुनने के बाद राहुल गांधी ने उनसे कहा कि राजस्थान सरकार को कोई खतरा नहीं होना चाहिए जिस पर पायलट ने हामी भरी.


बातचीत सकारात्मक रूप से खत्म होने के बाद राहुल और प्रियंका कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत से भी बात की. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक गहलोत और सचिन पायलट के मामले को लेकर सुलह और बीच का रास्ता निकालने के लिए एक कमिटी बनाई जा सकती है. इस बीच संभावना यह भी है कि पायलट को कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर कोई भूमिका भी दी जा सकती है.


वहीं दूसरी तरफ इस पूरे घटनाक्रम से अवगत कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पायलट खेमे के आधा दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस पार्टी में वापसी करना चाहते थे. कुछ विधायकों ने पिछले दिनों व्यक्तिगत तौर पर अशोक गहलोत से मुलाकात की और समर्थन देने की बात कही. कांग्रेस नेता के मुताबिक पायलट को एहसास हो गया कि उनके खेमे में फूट पड़ चुकी है और ऐसे में समय रहते हथियार डालने में भलाई है.


दरअसल गहलोत सरकार में अपनी तथाकथित आउपेक्षा से आहत पायलट महीने भर से अपने खेमे के डेढ़ दर्जन विधायकों के साथ राजस्थान से बाहर डेरा डाले हुए हैं. विधायक दल की दो-दो बैठकों का बहिष्कार कर उन्होंने बगावत तो साफ तौर पर कर दी थी लेकिन कभी भी पार्टी के खिलाफ बयान नहीं दिया था और गांधी परिवार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में लगे रहे.


इस दौरान उनके खेमे के डेढ़ दर्जन विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने से जुड़ा कारण बताओ नोटिस का मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चला. पायलट कैंप के वकीलों की बीजेपी से नजदीकियों को लेकर कांग्रेस नेताओं ने खुल कर तंज भी कसा लेकिन पायलट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. राहुल गांधी भी पायलट जैसे युवा नेता को खोना नहीं चाहते थे. जाहिर है जैसे ही पायलट के तेवर ढीले पड़े राहुल गांधी ने उन्हें मिलने का समय दे दिया और राजस्थान कांग्रेस और गहलोत सरकार दोनो को संकट से निकालने रास्ता तैयार कर दिया.


हालांकि सवाल यह जरूर पूछा जाता रहेगा कि अगर सब कुछ एक मुलाकात से ठीक होना था तो कोरोना महामारी के बीच महीने भर तक ऐसी नौबत क्यों बनी रही कि राजस्थान सरकार लोगों की बजाय खुद को बचाने में लगी रही और सरकार होटल से चलाई जाती रही. राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त को शुरू होने जा रहा है.


राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं और बहुमत के लिए 101 विधायकों का समर्थन जरूरी है. कांग्रेस के पास कुल अपने 107 विधायक हैं तो वहीं 15 निर्दलीय जिससे ये आंकड़ा 122 को हो जाता है. वहीं बीजेपी के पास 73 और 3 सहयोगी जिससे कुल 76 विधायक होते हैं. यानी कांग्रेस के पास अभी बहुमत है, बीजेपी के पास नहीं है.