नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के अंदर हाल के दिनों में जिस तरह के बगावती सुर और फिर सबसे भरोसेमंद नेताओं में एक सचिन पायलट को बाहर का रास्ता दिखाया गया वह काफी हैरान करने वाला था. अशोक गहलोत की सरकार में उपमुख्यमंत्री के पद पर रहे सचिन पायलट ने सूबे के CM के खिलाफ खुली बगावत कर दी जिसके बाद पार्टी ने उनके खिलाफ एक्शन लिया. 42 वर्षीय पायलट को कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रमुख पद से हटा दिया है.


17 साल से कांग्रेस पार्टी के लिए जी तोड़ मेहनत कर उपमुख्यमंत्री पद तक का सफर तय करने वाले पायलट ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनका 'राजनीतिक प्लेन' इस तरह क्रैश होगा. कॉर्पोरेट की नौकरी की चाह रखने वाले पायलट 26 साल की उम्र में अपना पहला चुनाव जीते. 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बने और 36 साल की उम्र में कांग्रेस ने राजस्थान में पार्टी की कमान उनके हाथ सौंप दी. इसके बाद पार्टी का जनाधार पायलट लगातार मजबूत करते रहे लेकिन आज की हकीकत ये है कि जिस पार्टी के लिए वह लगातार मेहनत कर रहे थे वह अब उस पार्टी के लिए एक बगावती नेता बन गए हैं.


आइए पायलट के बगावत से पार्टी आलाकमान के फैसले तक पर एक नजर डालते हैं और समझते हैं राजस्थान की सियासत में हुए हालिया घटनाक्रम के बारे में सबकुछ


कब-कब क्या हुआ


10 जुलाई को हुई विवाद की शुरुआत


विवाद की शुरुआत 10 जुलाई से हुआ जब राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (SOG) ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों में एक मामला दर्ज किया. हुआ ऐसा कि राज्य में राज्यसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कुछ विधायकों को प्रलोभन दिए जाने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य में विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है और करोड़ों रुपये कैश जयपुर ट्रांसफर हो रहा है.


10 जुलाई को गहलोत ने कहा- कौन नहीं CM बनना चाहता है


10 जुलाई को ही cm अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि बीजेपी हमारी सरकार गिराने में लगी है.ये लोग (भाजपा नेता) सरकार कैसे गिरे, किस  प्रकार से तोड़-फोड़ करें. खरीद फरोख्त कैसे करें ... इन तमाम काम में लगे हैं. इसी दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो गहलोत ने इस सवाल को टालने के बजाय साफतौर पर कह दिया कि 'कौन नहीं चाहता मुख्यमंत्री बनना?


11 जुलाई को पायलट आए दिल्ली, कांग्रेस से दूरी बना ली


11 जुलाई को मामला बढ़ गया और कांग्रेस की अंधरुनी फूट सबके सामने आ गई. दरअसल 11 जुलाई को एसओजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को बयान देने के लिए नोटिस भेजा. पायलट इस चिट्ठी के बाद दिल्‍ली निकल आए और मीडिया से संपर्क भी खत्‍म कर दिया. उनके साथ राजस्‍थान कांग्रेस के बागी 24 विधायक हरियाणा के एक होटल में रुके.


12 जुलाई को जागा कांग्रेस आलाकमान


राजस्थान में पार्टी के बीतर जारी कलह पर कांग्रेस आलाकमान जागी. दरअसल 12 जुलाई को लगातार अशोक गहलोत राजनीतिक ऊठापटक पर चर्चा के लिए कई नेताओं से मिले. इसी बीच वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्‍बल ने राजस्‍थान के हालात से चिंतित होकर रविवार सुबह एक ट्वीट किया. उन्‍होंने लिखा, "अपनी पार्टी के लिए चिंतित हूं, क्या घोड़ों के अस्तबल से निकलने के बाद ही हम जागेंगे?"


कांग्रेस आलाकमान ने दिल्‍ली से रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को जयपुर भेजने का फैसला किया. उन्‍हें अगली सुबह मंत्रियों और पार्टी विधायकों की बैठक में हिस्‍सा लेना था. इसके लिए कांग्रेस विधायकों को व्हिप जारी किया गया. व्हिप को लेकर दोनों नेताओं का खेमा अलग-अलग दावे कर रहा था.


इसी बीच सिंधिया ने खेला दांव


राजस्थान में जारी घटनाक्रम पर मध्यप्रदेश में से कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने अपना दांव चला. अपने 'दोस्‍त' सचिन पायलट की 'कांग्रेस में नजरअंदाजी' पर उन्‍होंने दुख जताया. सिंधिया ने कहा कि 'कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता की कद्र कम होती है।.' उसके बाद यह अटकलें तेज हो गईं कि पायलट भी सिंधिया के रास्‍ते पर चलकर बीजेपी में जाएंगे.


13 जुलाई को गहलोत का शक्ति प्रदर्शन


CM अशोक गहलोत किसी भी हाल में सत्ता अपने हाथ से जाने नहीं देने वाले थे. उन्होंने मीडिया के सामने शक्ति प्रदर्शन किया. सीएम आवास पर बुलाई गई मीटिंग में आखिरकार 107 विधायक पहुंचे. गहलोत इन विधायकों के साथ विक्‍ट्री का साइन बनाते दिखे। सभी विधायकों को होटल रवाना कर दिया गया है और वे
लगातार सीएम के टच में रहेंगे.


पायलट को मनाने की कोशिश


कांग्रेस बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगा रही थी और हर हाल में नाराज सचिन पायलट को मनाने में लगी थी. प्रियंका गांधी ने पायलट से बात की. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर पर भी हलचल रही. इससे पहले पायलट के पोस्‍टर हटा दिए गए थे, फिर प्रियंका की बातचीत के बाद फिर लगा दिए गए.


बीजेपी से पायलट को न्योता


इसी बीच बीजेपी ने सचिन पायलट के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. प्रदेश के कई बीजेपी नेताओं ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा में विश्वास जताने वाले किसी भी नेता के लिए पार्टी के द्वार खुले हुए हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘‘कोई भी बड़े जनाधार वाला नेता किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होना चाहे तो उसका स्वागत किया जाता है. हमारी विचारधारा में विश्वास जताकर कोई यदि हमसे जुड़ता है तो हम खुले हाथों से उसका स्वागत करेंगे. यह एक सामान्य प्रक्रिया है.’’


14 जुलाई- सचिन पायलट को पद से हटाया गया


कई दिनों से नाराज चल रहे सचिन पायलट को मनाने के जब सारे प्रयास विफल हुए तो कांग्रेस ने आखिरकार सचिन पायलट समेत दो मंत्रियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अधयक्ष पद से हटा दिया गया है. इसके साथ ही पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और खाद्य मंत्री रमेश मीणा को भी पद से हटा दिया गया. सचिन पायलट की जगह पर अब प्रदेश कांग्रेस की कमान शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपी गई है.


राहुल गांधी ने कहा- पार्टी छोड़ कर जाने वालों से डरने की जरूरत नहीं


राजस्थान में सचिन पायलट समेत लगभग डेढ़ दर्जन कांग्रेस विधायकों की बगावत के बीच कांग्रेस छोड़ कर जाने वाले नेताओं को लेकर राहुल गांधी का कड़ा रुख सामने आया. पार्टी के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि जिसे जाना है जाएगा, पार्टी छोड़ कर जाने वालों से डरने की जरूरत नहीं है.


सचिन पायलट ने कहा- बीजेपी में नहीं जाऊंगा


राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा, अब सबकी नजर इसी पर टिकी है. पायलट ने ये साफ कर दिया है कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. उनका कहना है कि कुछ नेताओं ने गलत अफवाहें फैलाई, ऐसा कुछ नहीं होगा. पायलट ने कहा, राजस्थान में कांग्रेस की वापसी के लिए मैंने बहुत मेहनत की है. राजस्थान में कुछ नेताओं ने अटकलों को हवा देने की कोशिश की कि मैं बीजेपी में शामिल हो रहा हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रहा हूं.


पायलट को पदों से हटाए जाने पर कांग्रेस में इस्तीफों की झड़ी


पायलट को पद से हटाए जाने के तुरंत बाद एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने भी मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया. पूनिया ने कहा कि युवक कांग्रेस, राष्ट्रीय भारतीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और सेवा दल में विभिन्न पदों पर रहे लगभग 400 से 500 सदस्यों ने ताजा घटनाक्रम के विरोध में इस्तीफा दे दिया है. इस बीच, पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में 50 से ज्यादा कांग्रेसजनों ने भी अपने नेता पर कार्रवाई के खिलाफ इस्तीफा दे दिया है. पाली जिला कांग्रेस अध्यक्ष चुन्नीलाल चादवास ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.