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Sachin Pilot का 'शक्ति प्रदर्शन' सीएम गहलोत को करेगा असहज, लेकिन इशारा क्या कांग्रेस आलाकमान के लिए है?

Sachin Pilot News: राजस्थान में लंबे समय से पायलट गुट के विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री बदलने की मांग की जा रही है. वहीं, गहलोत सरकार में शामिल न किए जाने से भी कई नेताओं में गुस्सा भरा हुआ है.

Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवा कर अपने सूबे में लौट चुके हैं. इसी के साथ सचिन पायलट ने ऐलान कर दिया है कि 16 जनवरी से 20 जनवरी तक वो राजस्थान के पांच जिलों नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुंनु, पाली और जयपुर में सभाएं और जनसंपर्क करेंगे. माना जा रहा है कि सचिन पायलट की ओर से किया जा रहा ये दौरा उनके शक्ति प्रदर्शन की तरह है. जिससे सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनौती मिलेगी. 

दरअसल, राजस्थान में लंबे समय से पायलट गुट के विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री बदलने की मांग की जा रही है. इतना ही नहीं, पायलट के करीबी नेताओं को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में शामिल करने की मांग भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. बीते साल नवंबर में भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने से ठीक पहले सीएम गहलोत ने पायलट को गद्दार बताते हुए कहा था कि वो कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे. हालांकि, अशोक गहलोत के इस बयान पर सचिन पायलट ने एक मंझे हुए राजनेता की तरह गेंद कांग्रेस आलाकमान के पाले में डाल दी थी.

इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राजस्थान जाकर इस मामले को ठंडा कराया था. हालांकि, इस विवाद के बाद से ही तय माना जा रहा था कि भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से गुजरने के बाद नेतृत्व परिवर्तन का ऐलान हो ही जाएगा. फिलहाल अब तक ऐसा नहीं हो सका है और माना जा रहा है कि सचिन पायलट अब एक बार फिर से अपने हालिया दौरे के जरिये कांग्रेस आलाकमान पर मुख्यमंत्री बदलने के फैसले को लेकर दबाव बना रहे हैं.

क्यों हो रही है सीएम बदलने के फैसले में देरी?

सियासी गलियारों में लंबे समय से चर्चा है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन होना तय है. दरअसल, बीते साल जब कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन करने का मन बनाते हुए सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर बिठाने का फैसला किया. उस दौरान गहलोत गुट के विधायकों ने बगावत कर दी थी. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से गहलोत के करीबी नेताओं को नोटिस जारी कर दिए गए थे. जिसके बाद अशोक गहलोत को सोनिया गांधी से मिलकर माफी तक मांगनी पड़ी थी. इसी के साथ नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी ठंडे बस्ते में चली गई थी. 

वहीं, भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से गुजरने के दौरान उन्हीं नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गईं, जिनके नामों पर कांग्रेस पार्टी ने नोटिस जारी किया था. इस बीच गहलोत को गुजरात विधानसभा चुनाव और पायलट को हिमाचल प्रदेश चुनाव का जिम्मा सौंप दिया गया. गुजरात में हार और हिमाचल में जीत के बाद सचिन पायलट का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. संभावना जताई जा रही है कि भारत जोड़ो यात्रा खत्म होने के साथ ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर फैसला किया जा सकता है.

पायलट का संदेश कांग्रेस आलाकमान को भी है

सियासी जानकार मानते हैं कि सचिन पायलट अपने इस दौरे से सीएम अशोक गहलोत को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. दरअसल, सचिन पायलट का ये दौरा कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी नहीं किया गया है. आसान शब्दों में कहें, तो ये उनका निजी तौर पर किया जा रहा दौरा है. माना जा रहा है कि पायलट अपने लिए अभी से समर्थन जुटाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस आलाकमान को भी इशारा है कि अगर राजस्थान को लेकर फैसले में अब और देरी की जाती है, तो वो भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. 

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस का सबसे आकर्षक चेहरा हैं और उनकी जनसभाओं में बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी रहती है. अगर वो ऐसे ही जनसभाओं और जनसंपर्क की राह पर चलेंगे, तो असहज होकर गहलोत फिर कोई विवादित बयान दे सकते हैं. जो सीधे तौर पर पायलट के लिए फायदेमंद होगा. वहीं, वो जनता के बीच जाकर मुख्यमंत्री की रेस में खुद को इकलौते नेता के तौर पर दिखाने की कोशिश करेंगे.

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