सचिन वाझे के सहयोगी API रियाजुद्दीन काजी को NIA ने एंटीलिया कांड और मनसुख हत्या मामले में किया गिरफ्तार
काजी ने 26 फरवरी को एपीआई सचिन वाझे की ठाणे स्थित साकेत सोसाइटी जाकर एंटीलिया विस्फोटक मामले के जांच का हवाला देते हुए उस सोसाइटी का डीवीआर अपने कब्ज़े में ले लिया था और उसकी फुटेज मिटाई थी. ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया था क्योंकि 17 फरवरी को मनसुख की स्कॉर्पियो विक्रोली से लेने के बाद उसे साकेत सोसाइटी में खड़ी की गई थी
एंटीलिया कांड और मनसुख हत्या की जांच कर रही एनआईए ने इस मामले में पहले से गिरफ्तार एपीआई सचिन वाझे के सहयोगी रह चुके रियाजुद्दीन काजी को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि काजी ने इस मामले में कई अहम भूमिका निभाई है जैसे कि सबूत मिटाना, मामले की जानकारी होते हुए भी साथ देना.
क्या क्या आरोप है काजी पर?
एनआईए के सूत्रों ने बताया कि रियाजुद्दीन काजी को हर उस बात का पता था जो सचिन वाझे ने किया है और उसकी गिरफ्तारी अहम बताई जा रही हैं.
आरोप नंबर 1-
काजी ने 26 फरवरी को एपीआई सचिन वाझे की ठाणे स्थित साकेत सोसाइटी जाकर एंटीलिया विस्फोटक मामले के जांच का हवाला देते हुए उस सोसाइटी का डीवीआर अपने कब्ज़े में ले लिया था और उसकी फुटेज मिटाई थी. ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया था क्योंकि 17 फरवरी को मनसुख की स्कॉर्पियो विक्रोली से लेने के बाद उसे साकेत सोसाइटी में खड़ी की गई थी. और यही बात जांच एजेंसियों को पता ना चले इसलिए उस सोसाइटी का डीवीआर लेकर फुटेज नष्ट किया गया.
इतना ही नही उस डीवीआर के बारे में अपने पंचनामे तक में उसका जिक्र नही किया गया था. बात तब सामने आई जब साकेत सोसाइटी के लोगों ने इस बात की जानकारी अपने लोकल पुलिस स्टेशन को दी थी.
आरोप नंबर 2
वाझे के इस गुर्गे ने साकेत सोसाइटी की डीवीआर लेने के बाद ठाणे में स्थित मनसुख के ऑफिस के पास के नंबर प्लेट बनाने वाले शॉप का भी डीवीआर अपने कब्जे में ले लिया था.
आरोप नंबर 3
रियाजुद्दीन काजी इसके बाद विक्रोली के कन्नमवार नगर इलाके में स्थित बंटी रेडियम शॉप पर गया था जहां पर नंबर प्लेट बनाये जाते है और उसने वहां से भी दुकान का डीवीआर अपने कब्जे में ले लिया था और फिर उस डीवीआर को ना जाने कहाँ गायब कर दिया गया था कि वो दुबारा से उस दुकानदार को नही मिला. हाल ही में जब मीठी नदी में तैराकों के मदत से तलाशी ली गयी तो कई डीवीआर, एक लैपटॉप और एक सीपीयू बरामद हुआ बताया जाता है कि ये वही डीवीआर थे, जिसे काजी ने अपने कब्जे में लिया था और बाद में उसे नष्ट करने की कोशिश की गई थी.
आरोप नंबर 4
यह सबसे अहम आरोप बताया जाता है कि एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें महाराष्ट्र एटीएस से इसके सबूत यह मामले हैंडओवर लेते समय मिले थे. सबूतों के मुताबिक जांच में पता चला था कि 6 मार्च के दिन सचिन वाझे और रियाजुद्दीन काजी एक ऑडी में बैठकर मुम्बई के नागपाड़ा इलाके में गए थे.
और नागपाड़ा जाकर दोनों लोगों ने एक शख्स से मुलाकात को जो कि वाझे का परिचित बताया जाता है और इन लोगों ने उस शख्स से एक बोटल में पेट्रोल और एक हथौड़ी ली थी. एनआईए ने इस थियरी को वेरिफाई करने के लिए उस शख्स का बयान दर्ज किया है जिसके बयान के आधार पर ही यह पता चल पाया. आपको बता दें कि एनआईए को एक मर्सिडीज़ से पेट्रोल की बोतल, हथौड़ी मिली थी.
कौन है ये एपीआई रियाजुद्दीन काजी?
एपीआई रियाजुद्दीन काजी 102 बैच का पुलिस अधिकारी है साल 2010 में एमपीएससी की परीक्षा पास कर वो रिक्रूट हुआ था. पहली पोस्टिंग वर्सोवा पुलिस स्टेशन में पीएसआई के पद पर हुई थी जहां प्रोबेशन पीरियड पर काम किया. कुछ साल वर्सोवा पुलिस स्टेशन में काम करने के बाद उसका ट्रांसफर एंटी चैन स्नेशिंग स्कॉड में हुआ था.
उसके बाद रियाजुद्दीन का ट्रांसफर सीआईयू में हुआ और एंटोलिया कांड में जब सबूतों को मिटाने और कोस्पिरेसी का हिस्सा होने का आरोप लगा. जिसके बाद रियाजुद्दीन काजी का ट्रांसफर लोकल आर्म्स में कर दिया गया था.