मुंबई: मनसुख हिरेन हत्या की जांच के दौरान एनआईए को एक और महत्वपूर्ण सबूत मिला है. ये सबूत इस बात की ओर इशारा करता है कि मनसुख की हत्या के समय सचिन वाजे भी ठाणे गया था और एजेंसियों को गुमराह करने के लिए उसने अपना मोबाइल सीआईयू के दफ्तर में ही छोड़ दिया था.


एनआईए को जांच के दौरान पता चला है कि 4 मार्च की रात को जब मनसुख हिरेन की हत्या हुई थी उस दिन सचिन वाजे शाम 7 बजे के करीब कमिश्नर ऑफिस से निकलकर सीएसटी रेलवे स्टेशन गया था.


वाजे को पता था कि अगर वो गाड़ी से जाएगा तो किसी न किसी सीसीटीवी में उसकी तस्वीर कैद हो जाएगी और फिर उसका झूठ पकड़ा जाएगा. इसीलिए वाजे पैदल ही कमिश्नर ऑफिस से निकला और सीएसटी स्टेशन गया जहां से उसने ठाणे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़ी थी.


वाजे ने अपने ब्यान में क्या कहा था
हालांकि सचिन वाजे ने एटीएस को अपने स्टेटमेंट में बताया था कि वो दिनभर अपने ऑफिस में ही बैठा था. एनआईए के सूत्रों ने बताया कि 30 मार्च को उन्हें जानकारी मिली कि वाजे लोकल ट्रेन पकड़कर सीएसटी से ठाणे गया था जिसके बाद एनआईए ने सीएसटी स्टेशन जाकर सीसीटीवी फुटेज का पता लगाना शुरू किया और उन्हें मिल भी गया.


एनआईए ने बताया कि वाजे शाम को 7 बजकर 15 से लेकर 7 बजकर 30 मिनट के बीच सीएसटी स्टेशन पर दिखाई दिया था उसके बाद वो ठाणे स्टेशन पर करीब आठ बजे शाम को पहुंचा है. जिसके बाद सचिन वाजे ने रात 8 बजकर 31 मिनट पर तावड़े बनकर मनसुख को फोन कर बाहर बुलाया था. एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि आखिर कौन-कौन वाजे के साथ घोडबंदर रोड पर था जहां मनसुख को बुलाया गया था? क्या मनसुख को मारने के बाद वाजे ने बॉडी को ठिकाने लगाने बोला था? क्या वाजे ने जिंदा मनसुख को हत्यारों के हवाले कर दिया था?


हत्या के बाद ट्रेन से ही लौटा वाजे
एनआईए को उसकी जांच में यह भी पता चला है कि मनसुख की हत्या होने के बाद वाजे फिर ठाणे स्टेशन पर आया और ट्रेन पकड़कर करीब 10 बजकर 30 मिनट पर भायखला स्टेशन पहुंचा. लेकिन भायखला रेलवे स्टेशन से वो टिप्सी बार के पास रात करीब 11 बजकर 45 मिनट पर पहुंचा था.


एनआईए को उनकी जांच में यह भी पता चला है कि भायखला स्टेशन उतरने के बाद वाझे कि एक बड़े और नामी व्यक्ति के साथ मीटिंग हुई थी और वह मीटिंग खत्म होने के बाद वाजे टिप्सी बार पर रेड मारने पहुंचा था.


क्या एनकाउंटर भी ड्रामा था?
एनआईए के सूत्रों ने जानकारी दी है कि कुछ दिनों पहले उन्हें जो नंबर प्लेट मीठी नदी से बरामद हुई है वो भी इसी प्लानिंग का हिस्सा था. दरअसल वो नंबर प्लेट जिसकी गाड़ी का था वो औरंगाबाद का रहने वाला था. आरोप है कि वाजे ने ही वो गाड़ी चोरी की प्लानिंग करवाई थी और आगे की प्लानिंग थी कि विस्फोटों के साथ उसी गाड़ी को एंटीलिया के पास खड़ी की जाएगी और फिर खड़ी करने वाले का फर्जी एनकाउंटर भी किया जाएगा. हालांकि यह प्लानिंग पिछले साल नवंबर के लिए थी लेकिन वाजे टीआरपी मामले की जांच में उलझे होने के चलते उस पर अमल नहीं कर पाए.


एनआईए को उसकी जांच के दौरान इस थियॉरी का पता चला है, जिसे एनआईए अब इंवेस्टिगेट कर रही है ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके कि क्या सच में एक फर्जी एनकाउंटर की भी तैयारी थी?


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