Save Soil: 'मिट्टी बचाओ' यात्रा पर निकले सदगुरू पहुंचे जामनर, मिट्टी के विनाश के प्रति लोगों को जागरुक करते हुए 26 देशों से गुजरे
Save Soil: 'मिट्टी बचाओ' सद्गुरु द्वारा चलाया जा रहा एक ऐसा आंदोलन है जिसका उद्देश्य है - मिट्टी के विनाश के प्रति लोगों को ठोस और जागरूक कदम उठाने के लिए प्रेरित करना.
Save Soil: 70 दिनों की ज़मीनी यात्रा के बाद, यूरोप और मध्य-पूर्व से होते हुए, सद्गुरु (sadhguru) 'मिट्टी बचाओ' (#SaveSoil) यात्रा के आखिरी हिस्से में जामनगर (Jamnagar), गुजरात (Gujarat) पहुंचे. 'मिट्टी बचाओ' सद्गुरु द्वारा चलाया जा रहा एक ऐसा आंदोलन है जिसका उद्देश्य है - मिट्टी के विनाश के प्रति लोगों को ठोस और जागरूक कदम उठाने के लिए प्रेरित करना. मिट्टी को बचाने की यात्रा सदगुरु ने यूनाइटेड किंगडम से भारत तक 26 देशों की 30,000 किलोमीटर की यात्रा मोटरसाइकिल से की है.
खतरे में है मिट्टी
मिट्टी हमारे जीवन का आधार है. लेकिन खेती, जंगलों की कटाई, और दूसरी कई वजहों से ऊपरी मिट्टी बहुत तेज़ी से खराब और नष्ट हो रही है. विश्व स्तर पर, 52% खेती की भूमि पहले ही खराब हो चुकी है. धरती संकट में है. यदि मिट्टी इसी तेज़ी से ख़राब होती रही, तो इस धरती पर जीवन का अंत हो जाएगा.
लगभग हर बड़ा पर्यावरण का संकट, कुछ हद तक, मिट्टी की क्वालिटी के ख़राब होने का ही एक परिणाम या लक्षण है. इसी तरह, पर्यावरण से संबंधित लगभग हर समस्या को मिट्टी को स्वस्थ बनाकर सुलझाया जा सकता है.
एक पहलू को बाकी पहलूओं से अलग मानना गलत
यह सोचना वाकई एक भ्रम है कि हम अपने पर्यावरण (Environment) के किसी एक पहलू को बाकी पहलूओं से अलग मानकर, उससे जुड़ी समस्याएं सुलझा सकते हैं. क्योंकि पर्यावरण तंत्र (Environmental System ) का कोई भी पहलू दूसरे पहलूओं से अलग रहकर कार्य नहीं करता. कोई समाधान तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक हम इस बारे में जागरूक नहीं हो जाएंगे कि हर जीव आपस में जुड़ा हुआ है, सभी का जीवन आपसी एकजुटता के साथ घटित हो रहा है. कई मायनों में, मिट्टी वह मंच है जिस पर जीवन पनपता है. अगर हम मिट्टी को ठीक करते हैं, तो हमारे पास जीवन के हर पहलू को ठीक करने का सबसे अच्छा मौका होगा.
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