Kerala High Court: मंदिरों पर भगवा रंग तो आपने अक्सर देखा होगा, लेकिन केरल में एक मंदिर में भगवा रंग को लेकर विवाद ऐसा गहराया कि हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा. केरल हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि पुलिस या प्रशासन इस बात पर जोर नहीं दे सकता है कि उत्सव के दौरान मंदिरों को किस रंग से सजाया जाए. कोर्ट ने कहा कि यह त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) का कर्तव्य है कि वह त्योहार को रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार आयोजित करे. आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है.
केरल पुलिस के आदेश के बाद विवाद छिड़ गया था जिसमें तिरुवनंतपुर के वेल्लयानी भद्रकाली मंदिर के अधिकारियों को भगवा रंग हटाने को कहा गया. मंदिर को भद्रकाली उत्सव के लिए सजाया गया था. पुलिस ने निर्देश दिया कि सजावट से भगवा रंग को हटाकर इसकी जगह विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाए.
मंदिर प्रशासन ने सरकार पर लगाया आरोप
मंदिर के अधिकारियों ने इसे सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) द्वारा हिंदू अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को नष्ट करने की कोशिश बताया. 70 दिनों तक चलने वाला भद्रकाली उत्सव मंगलवार (14) फरवरी से शुरू हो गया. वहीं, पुलिस का कहना है कि पहले यहां पर कार्यक्रम के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति में समस्या आई थी, जिसके चलते मंदिर से भगवा सजावट को हटाने का आदेश दिया गया था.
पुलिस के आदेश को लेकर केरल हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई जिस पर जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की. एक याचिका मंदिर की सलाहकार समिति ने दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका एक भक्त की तरफ से दायर की गई थी.
कोर्ट ने दिया निर्देश
याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया था. इसमें कोर्ट ने कहा, "मंदिरों में दैनिक पूजा, समारोहों और त्योहारों के आयोजन में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है. जिला प्रशासन या पुलिस इस बात पर जोर नहीं दे सकती है कि केवल 'राजनीतिक रूप से तटस्थ' रंगों का उपयोग मंदिर पर सजावट के लिए किया जाना चाहिए. जिला प्रशासन या पुलिस मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार कलियुट्टू उत्सव आयोजित करने में दखल नहीं दे सकती है."
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि यदि मंदिर परिसर में या मंदिर के आस-पास किसी भी अप्रिय घटना की आशंका है जो कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ सकती है तो टीडीबी पुलिस को सूचित कर सकती है और जिला मजिस्ट्रेट को उचित कदम उठाना चाहिए. अदालत ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कार्यक्रम के दौरान लगाए गए अस्थायी ढांचे सार्वजनिक सड़कों का अतिक्रमण न करें.
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