पहलवान सागर धनखड़ हत्या मामले के आरोपी ओलिम्पिक पदक विजेता सुशील पहलवान ने 4/5 मई की रात छत्रसाल स्टेडियम में सागर के साथी सोनू मलिक उर्फ सोनी माहल पर भी हमला किया था. सोनू भी गंभीर रूप से घायल हुआ था. 4/5 मई की रात को छत्रसाल स्टेडियम में किस तरह खूनी खेल खेला गया.  किस तरह से पहलवान सुशील कुमार ने आपराधिक प्रवृत्ति दिखाते हुए इस पूरे मामले को अंजाम दिया. पहली बार खुद इस मामले के पीड़ित सोनू माहल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि आखिर किस तरह से उस रात को उनके और सागर के साथ मारपीट की गई थी.


सोनू माहल ने बताया उस रात क्या हुआ था


हम ( सागर और सोनू माहल) एम ब्लॉक, मॉडल टाउन के फ्लैट में बैठे थे. हम (पिनाना) गाँव, सोनीपत से आये थे. हम 10:00 बजे फ्लैट पर आ गए थे रात को लगभग 11- 11:15 बजे 30-35 लोग हमारे फ्लैट पर आए उन्होंने हमारे ऊपर पिस्तौल लगाई और कहा कि पहलवान जी नीचे बुला रहे हैं. हमें जबरदस्ती नीचे लेकर आये और हौंडा सिटी कार में बैठा लिया.  हमसे पहले उन्होंने शालीमार बाग से सागर के दो दोस्त अमित और रविन्द्र को भी उठाया था और उन्ही के साथ हमारे फ्लैट पर आये थे. हम जब नीचे आये तो हौंडा सिटी कार में सुशील पहलवान बैठा हुआ था. हमें जबरदस्ती गाड़ी में बिठा लिया गया और फिर ये लोग हमें छत्रसाल स्टेडियम ले गए. हमने रास्ते में पूछा भी क्या बात हो गई है? तो सुशील पहलवान बस एक बात बोल रहा था कि तुम्हें बदमाश बनाता हूं और पता चलेगा कि यहां बदमाश कौन है? हमें स्टेडियम में ले जाने के बाद हमसे कोई बात नहीं की गई. वहां पर सुशील के साथ 30-35 लोग और थे. इसके बाद हमें नीचे उतारकर बेसबॉल के डंडों और रॉड से मारना शुरू कर दिया गया. लगभग डेढ़ से दो घण्टे तक मारा गया. 


पिस्तौल से गोली चलाकर डराया


मारपीट के बीच वे लोह मेरे और सागर के माथे पर पिस्तौल लगाते और फिर कान के पास से गोली चला देते थे.  इन्होंने कई राउंड गोली चलाई.  जब ये लोग मुझे और सागर को पीट रहे थे तो अमित और रविन्द्र छुप गए. अमित एक गाड़ी के नीचे छुप गया था. रविन्द्र ने बाहर जाकर पीसीआर को कॉल कर दी थी. जब पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाते हुए आई तो सुशील पहलवान ने स्टेडियम का गेट बंद करवा दिया और फिर ये सब वहां से भाग गए. एक पहलवान सुरजीत वहां था, जो सुशील के अखाड़े का ही है. वो वहां से गोली के खोखे और खून के निशान साफ करने लगा. पुलिस स्टेडियम के अंदर दरवाजा फांदकर दाखिल हुई.


वहीं जब सुशील और उसके साथी वहां से भाग गए, तो अमित गाड़ी के नीचे से बाहर निकला और उसने पुलिस को बताया कि दो लड़कों को नीचे बेसमेंट में मारकर फेंक रखा हैं. पुलिस एक बार बेसमेंट से खाली लौट आयी थी. अमित ने फिर कहा, तब दूसरी बार पुलिस हम तक पहुंची. इसके बाद हमें अस्पताल ले जाया गया. सुशील ने अपने साथियों की मदद से मुझे और सागर को बेसमेंट में फिंकवा दिया था. हमें मैट(प्लास्टिक शीट) से ढक दिया था. अगर अमित नहीं होता तो पुलिस को ये नहीं पता चल पाता कि हम दोनों बेसमेंट में हैं.  सागर की तो मौत हो गई, हो सकता है मेरी भी मौत हो जाती.


पुलिस ने मामले में दिखाई लापरवाही


लेकिन पुलिस ने इस पूरे मामले में खास भूमिका नहीं निभाई. जिस रात हम दोनों को अस्पताल में ले जाया गया था. पुलिस ने हमसे कोई स्टेटमेंट नहीं ली.  मैंने अपने परिजनों का नंबर भी पुलिस को दिया था, लेकिन उन्होंने मेरी कोई बात नहीं करवाई. अगर पुलिस चाहती तो उसी रात को सागर की स्टेटमेंट भी ले सकती थी, लेकिन उससे भी कोई बातचीत नहीं की और सागर की सुबह मौत हो गई. एक सागर का दोस्त है, भगतु सुशील उसे अपने साथ अपने घर ले गया था. सुबह जब सुशील को पता चला कि सागर की मौत हो गई है तो उसने भगतु को छोड़ा और फिर वहां से फरार हो गया.


सुशील से नहीं था कोई विवाद


हमारा सुशील के साथ किसी प्रकार का कोई झगड़ा नहीं था. जिस तरीके से कहा जा रहा है कि फ्लैट को लेकर कोई विवाद था, तो वह भी गलत बात है, क्योंकि हमने मार्च में फ्लैट खाली कर दिया था। असल में सुशील ने जब फ्लैट खाली करने के लिए कहा था, तो सागर ने कहा था कि मैं अचानक से कहां जाऊंगा. पहले दूसरा फ्लैट मिल जाए तो मैं खाली कर दूंगा. सुशील ने हमें छत्रसाल स्टेडियम के अंदर मार्च में भी बात करने के लिए बुलाया था. उस समय वह हमें डराने के लिए यह कह रहा था कि उसके संपर्क कई अपराधियों से हैं. वह बातचीत में कह रहा था कि उसने रामवीर शौकीन, जो नीरज बवानिया का मामा है, उसको फेरारी कटवाई थी. छत्रसाल स्टेडियम में ही उसे छुपा के रखा था. कई और बदमाशों के साथ अपने संपर्क बताए थे.


झगड़े की असल वजह


सोनू का दावा है कि झगड़े की असल वजह यह है कि सागर धनकर अच्छा पहलवान था और वह पहलवानी जगत में नाम कमा रहा था. सागर और उसके लगभग 30-35 साथी पहलवानों ने छत्रसाल स्टेडियम छोड़ना शुरू कर दिया था और वह वीरेंद्र कोच के अखाड़े में नरेला में जाने लगे थे. इस बात से सुशील काफी खफा था. उसे लग रहा था कि सागर के कहने पर उसका अखाड़ा खाली हो रहा है. इसी बात से वह सागर को सबक सिखाना चाहता था.


सुशील पर जूनियर पहलवानों को विवादित संपति के मामलों में भेजने का आरोप


सोनू ने ये भी दावा किया है कि सुशील अपने जूनियर पहलवानों को अलग-अलग बदमाशों के कहने पर विवादित संपत्ति के मामलों में भेजा करता था. इसके अलावा वह गलत रवैया भी अपनाता था. सागर सुशील पहलवान को अपना गुरु समान मानता था. उसके पैर छूता था, लेकिन सुशील ने अपने वर्चस्व को लेकर इस पूरे हत्याकांड को अंजाम दिया है. जो बात कही जा रही है कि इस वारदात के 2 दिन पहले सागर धनकड़ ने सुशील के साथ बदतमीजी की थी या सुशील का कॉलर पकड़ा था, तो ये बात भी गलत है. इस पूरी वारदात से 2 दिन पहले हम लोग गांव गए हुए थे. दिल्ली पुलिस ने भी शुरुआत में इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया. सुरजीत नाम का जो पहलवान था वह पुलिस के सामने ही स्टेडियम के अंदर सबूत नष्ट कर रहा था. खून के धब्बे मिटा रहा था. गोलियों के खोखे उठा रहा था. पुलिस ने उसे नहीं रोका. हम सागर को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ते रहेंगे।


मैं इस मामले में पीड़ित भी हूँ और शिकायतकर्ता भी. सुशील ने हमें जानवरों की तरह मारा. अब भी मुझे उस रात का दृश्य भूलता नहीं है.


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