हंदवाड़ा में शहीद हुए इस पुलिस अधिकारी ने हमेशा निडर होकर किया था चुनौतियों का सामना
सगीर अहमद पठान ने हमेशा डटकर चुनौतियों को सामना किया था.कुपवाड़ा के हंदवाड़ा जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान वह शहीद हो गए.
श्रीनगर: तीन मई को उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों की चंगुल में फंसे परिवार को रिहा कराने के दौरान एक कर्नल और मेजर सहित कुल पांच जवान शहीद हो गए. करीब 15 घंटे चले ऑपरेशन में दो आतंकी भी ढेर हुए. यह कहानी है जम्मू कश्मीर पुलिस के उप निरीक्षक सगीर अहमद पठान उर्फ ‘काजी’ की. जिनकी ऊंचे से ऊंचा लक्ष्य प्राप्त करने की चाहत ने उन्हें नई चुनौतियों का सामना करने का साहस दिया.
पठान ने 1999 में पुलिस में कांस्टेबल के पद से नौकरी की शुरुआत की थी. उनका जन्म उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एलओसी के पास त्राड गांव में 1978 में हुआ था. चुनौतियों का सामना करने के शौक के कारण पठान पुलिस बल में शामिल हुए.
कुपवाड़ा के हंदवाड़ा जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान सेना के एक कर्नल और एक मेजर समेत शहीद हुए पांच सुरक्षा कर्मियों में से एक पठान भी थे. विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर तैनाती के बाद पठान 2006 में आतंकवाद से लड़ने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) में शामिल हो गए.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “वह हमेशा आगे रहते थे और खतरनाक मिशन से घबराते नहीं थे.” ऊंचे लक्ष्य हासिल करने की उनकी इसी चाहत के कारण दो दशक में उन्हें तीन बार तरक्की मिली थी. स्थानीय होने के कारण पठान 21 राष्ट्रीय राइफल्स के चहेते बन गए क्योंकि कश्मीर के भीतरी हिस्सों में घुसने के लिए आतंकवादियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले रास्तों के बारे में पठान को जानकारी होती थी.
शनिवार रात को आतंकवादियों से लोहा लेने वाले दल का नेतृत्व कर्नल आशुतोष शर्मा और मेजर अनुज सूद कर रहे थे और पठान भी उस दल का हिस्सा थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया कि एसओजी में तैनाती के दौरान पठान ने कई आंतकवाद निरोधी अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था.
उन्होंने कहा, “उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें तीन बार सामान्य प्रकिया से हटकर पदोन्नति दी गई थी और वह कांस्टेबल से उप निरीक्षक बन गए थे.”
उन्होंने कहा, “सगीर अंतिम सांस तक राष्ट्र की एकता और अखंडता और लोगों के हितों की रक्षा करते हुए शहीद हुए. जम्मू कश्मीर पुलिस के सभी रैंक के अधिकारी सगीर को और कर्नल आशुतोष शर्मा के नेतृत्व वाले दल के अन्य सदस्यों को सलामी देते हैं.”
पठान को 2011 में वीरता के लिए पुलिस पदक, 2009 में शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक, महानिदेशक सराहना पदक, और जनरल अफसर कमांडिंग इन चीफ, उत्तरी कमान सराहना डिस्क प्रदान की गई थी.मपठान उस दल का हिस्सा थे जो एक घर में बंधक बनाए गए लोगों को बचा कर निकालने गया था. इस कार्रवाई में नागरिकों को बचा लिया गया लेकिन आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में पठान समेत दल के अन्य सदस्य शहीद हो गए.
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