लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हिंसा के बाद तनाव फैला हुआ है. दो जाति के लोगों के बीच जबरदस्त लड़ाई हुई और इसका नतीजा आगजनी और मारपीट के बीच सामने आया. पुलिस प्रशासन मुस्तैद है और हर तरफ तैनाती हो चुकी है. दोनों पक्ष एक-दूसरे का दोष बताकर अपने आपको पीड़ित साबित करने में लगे हैं.


इनसब के बीच एक नाम इस पूरे मामले में सामने उभर कर आया है. वह है 'भीम आर्मी भारत एकता मिशन' और इसके संस्थापक चंद्रशेखर का. चंद्रशेखर की उम्र करीब 30 साल है. उनका दावा है कि यूपी सहित देश के सात राज्यों में उनकी 'भीम सेना' के 40 हजार से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं. जो इस निचले तबके की आवाज उठा रहे हैं.


चंद्रशेखर के अनुसार दलितों को बार-बार दबाया गया है. पुलिस भी उनकी आवाज नहीं सुनती है. ऐसे में अपनी आवाज को, बात को मजबूती से सबके सामने रखने के लिए 'भीम सेना' एक प्लेटफार्म है. इंडियन एक्सप्रेस में छपे चंद्रशेखर के इंटरव्यू के अनुसार दलित गुस्सा का चेहरा चंद्रशेखर ही बनकर उभरे हैं.


हालांकि, माल्हीपुर रोड पर बस में आग लगाने और 10 मोटरसाइकिलों को खाक बनाने की घटना में भीम सेना का नाम आने पर चंद्रशेखर खुश नहीं हैं. अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 'मैं इसका खंडन करता हूं.' उन्होंने कहा कि 'हम अंबेडकर को मानते हैं और संविधान में हमारी श्रद्धा है.'


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस जगह यह घटना हुई वहां बहुत सारे लोग जमा था. सभी भीम सेना के सदस्य नहीं थे. फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है. इसके साथ ही पुलिस ने करीब 22 लोगों को इस मामले में हिरासत में ले लिया है.


गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को एक ठाकुर की हत्या और उसके बाद दलितों के 25 घरों को जलाने के बाद हिंसा भड़की थी. सहारनपुर इस घटना के बाद एक बार और हिंसा की भेंट चढ़ गया था. दो पुलिस अधिकारियों का जिले से स्थानांतरण कर दिया गया है.


चंद्रशेखर का आरोप है कि ठाकुरों को तलवार और हथियार के साथ जुलूस निकालने का मौका मिला था. लेकिन, चार दिन बाद दलित समाज के लोगों ने जब शांतिपूर्ण जुलूस निकालने की अनुमाति मांगी तो उन्हें नहीं दी गई. चंद्रशेखर कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि उनके समाज की आवाज सुनी जाए.


चंद्रशेखर ने कहा कि उनका और उनकी संस्था का मकसद है कि उनके समाज के लोग पढ़-लिख कर आगे बढ़ें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी संस्था इसे लेकर जागरूकता फैला रही है. प्रशासन के साथ मिलकर भी कई शिविर लगाए गए हैं. हिंसा का उन्होंने कई बार खंडन किया लेकिन समाज पर हो रहे कथित अन्याय की बात भी बार-बार कही.