नई दिल्ली: सरकारी स्टील कंपनी सेल ने कहा कि असम में लोहित नदी के ऊपर बने देश के सबसे लंबे पुल, ढोला-सदिया, में लगा 90 फीसदी स्टील उसने मुहैया कराया है. इस पुल का उदघाटन शुक्रवार को प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
ये पुल 9.15 किलोमीटर लंबा है. इस पुल में करीब 30 हजार टन स्टील सेल का लगा. इस स्टील में टीएमटी, स्ट्रक्चरल और प्लेट्स शामिल है. इस पुल का काम निजी क्षेत्र और सरकार के साझा उपक्रम के जरिए 2011 में शुरु हुआ. ये पुल मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक से 3.55 किलोमीटर लंबा है. अभी तक मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक को देश का सबसे लंबा पुल माना जाता रहा है.
सेल पूर्वोत्तर की कई दूसरी परियोजनाओं के लिए भी स्टील मुहैया करा चुकी है. इसमें बोगीबील रोड-रेल पुल के अलावा एनटीपीसी की 750 मेगावाट की बिजली परियोजना और केमेंग में 600 मेगावाट की हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना शामिल है.
इस पुल की 10 बड़ी खूबियां
1. ये देश और एशिया का सबसे लंबा पुल है. इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है. मुंबई बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 30 फीसदी ज्यादा लंबा है.
2. एशिया का ये सबसे लंबा पुल असम के जिला तिनसुकिया में बना है.
3. ये पुल ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदी लोहित नदी पर बना है.
4. ये पुल सदिया और ढोला के बीच बना है. सदिया, असम में गुवाहाटी से 540 किलोमीटर दूर है, जबकि ढोला अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर दूर है.
5. इस पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी को कम होगी. अब तक अरुणाचल जाने के दूसरे सड़क रास्ते से 8 घंटे का वक़्त लगता था और फेरी यानी नाव से साढ़े 4 घंटे का समय लगता था. लेकिन इस पुल के बनने से यह दूरी केवल आधे घंटे में पूरी कर ली जा सकेगी यानी कम से कम 4 घंटे की सीधी बचत.
6. इस ब्रिज के ऊपर से 60 टन का लड़ाकू टैंक बड़ी आसानी से लेकर जाया जा सकता है.
7. इस पुल के जरिए सैन्य साजो सामान आसानी से अरुणाचल प्रदेश के अनिनी में बने सामरिक ठिकाने तक पहुंचाया जा सकेगा. अनिनी चीन की सीमा से सिर्फ 100 किलीमोटर ही दूर है.
8. इस पुल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि इस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सके ताकि तेज आवाजाही हो पाए.
9. इस पुल के बनने के बाद पूर्वोत्तर भारत में विकास को पंख लगेंगे, क्योंकि अब तक इस इलाके में कोई भी पुल नहीं है.
10. इस पुल की शुरुआत साल 2011 में हुई थी जिसके लिए तय बजट 876 करोड़ था. इसे साल 2015 में पूरा कर लिया जाना था, लेकिन 2017 में पूरा हुआ. करीब 1000 करोड़ में बनकर तैयार हुआ है.