नई दिल्ली/लखनऊ: राम मंदिर का ट्रस्ट बनते ही अयोध्या के साधु संत अब इसके विरोध में आ गए हैं. राम मंदिर आंदोलन से जुड़े एक भी साधु को इसमें जगह नहीं मिली. राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी मेंबर नहीं बन पाए. जबकि अयोध्या के तीन लोगों को ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में 9 फरवरी तक ट्रस्ट बनाए जाने को कहा गया था.
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संत समाज को उम्मीद थी उन्हें मान सम्मान मिलेगा लेकिन जब ट्रस्ट के सदस्यों की लिस्ट आई, तो सबकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास को मोदी पर पूरा भरोसा था. वह कल शाम तक यही कह रहे थे कि उन्हें तो ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया जाएगा. लेकिन अब उनका धैर्य जवाब देने लगा है. महंत ने कहा कि जिन्हे मंदिर के बारे में कुछ नहीं पता वे ट्रस्टी बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग मंदिर कैसे बनायेंगे ? दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने कहा कि अयोध्या के साधु संतों का अपमान किया गया है. राजभक्तों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
सुरेश दास यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं. वह रामचंद्र परमहंस के शिष्य हैं. राम जन्मभूमि न्यास ही अब तक अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करता रहा है. न्यास ने ही प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल बनाया है. इसी मॉडल पर भव्य राम मंदिर बनेगा, ये अभी तय नहीं है. न्यास के वर्कशॉप में ही राम मंदिर के लिए पत्थर तराशे जाते रहे हैं. अयोध्या आने वाले भक्त यहां जरूर आते हैं. विश्व हिंदू परिषद के साथ मिल कर न्यास मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन करता रहा है, लेकिन ना तो वीएचपी के लोगों को नए ट्रस्ट में लिया गया और ना ही अयोध्या के साधु संतों को.
अयोध्या से तीन लोगों को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मेंबर बनाया गया है. उनमें से एक तो निर्मोही अखाड़े के हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण उन्हें ट्रस्ट में जगह मिली है. अखाड़े के दिनेंद्र दास को ट्रस्टी बनाया गया है. अयोध्या राजघराने के विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र को भी ट्रस्ट में जगह मिली है. राम मंदिर आंदोलन से उनका कोई सीधा नाता नहीं रहा है. अयोध्या के वे जाने माने नाम हैं. संघ के एक बड़े नेता से उनका करीबी रिश्ता रहा है. अनिल मिश्र भी अयोध्या के रहने वाले हैं. उन्हें भी ट्रस्टी बनाया गया है. पेशे से वे होम्योपैथिक डॉक्टर हैं. वे अवध प्रांत के सह कार्यवाह भी हैं. संघ से सालों का नाता रहा है.
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