फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली गुपकार गठबंधन से अलग हुई सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस
फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली गुपकार गठबंधन से सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस अलग हो गई है.
श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली गुपकार गठबंधन से सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस अलग हो गई है. सज्जाद लोन ने अब्दुल्ला को लिखे एक पत्र में कहा, "हम गठबंधन से अलग हो रहे हैं, इसके उद्देश्यों से नहीं.''
लोन के इस फैसले के बाद बीजेपी ने गठबंधन पर निशाना साधा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि गुपकार गठबंधन में टूट शुरू हो चुका है.
Implosion of Gupkar Group begins. Sajjad Line’s People’s Conference quit Gupkar Alliance pic.twitter.com/WpK7zX97LE
— Ram Madhav (@rammadhavbjp) January 19, 2021
उन्होंने आरोप लगाया कि गठबंधन के कुछ घटकों ने जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में प्रोक्सी प्रत्याशी खड़े किए. लोन ने अपने फैसले की घोषणा गुपकर गठबंधन के प्रमुख और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को लिखी चिट्ठी में की है.
लोन ने लिखा, ‘‘ यह तथ्य है कि गुपकर गठबंधन ने इस चुनाव में स्पष्ट रूप से सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की. हम आंकड़ो को छिपा नहीं सकते हैं और गुपकर गठबंधन द्वारा जीती गईं सीटों के अलावा, एक अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ा पांच अगस्त (अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्क्रिय करने) के संदर्भ मतों की संख्या है जो गुपकर गठबंधन के खिलाफ है.’’ बाद में उन्होंने इस पत्र को मीडिया में भी साझा किया.
लोन ने कहा कि उनका मानना है कि गुपकर गठबंधन के खिलाफ किए गए मतदान में अधिकतर गुपकर गठबंधन के घटकों के छद्मों द्वारा आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ किए गए मत हैं. लोन ने पत्र में कहा, ‘‘ गुपकर गठबंधन के पक्ष और विपक्ष में हुए चुनिंदा मतदान का नतीजा बहुत खराब मत प्रतिशत रहा. यह वह मत प्रतिशत नहीं है जो जम्मू-कश्मीर की जनता पांच अगस्त के बाद हकदार थी.’’
कुछ महीने पहले अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए गुपकार गठबंधन की घोषणा की गई थी. इस गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी शामिल है.
बता दें कि पांच अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का एलान किया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था. इस कदम का स्थानीय दल पुरजोर विरोध कर रही है.
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