नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट में आज खान मार्केट में मिले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मामले में गिरफ्तार आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठाए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि क्या कोई ऐसा नियम है, जो ये तय कर सके कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि आज की तारीख में भी सरकार की तरफ़ से कोई गाइडलाइंस या नोटिफिकेशन हो, जिसमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट तय किए गए हो?


आरोपियों की तरफ से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने दलील देते हुए कहा कि कुछ भी गलत नहीं किया गया. लेकिन फिर भी इन लोगों को आरोपी बना दिया गया. अगर सब कुछ कानूनी तरीके से खरीदा और बेचा गया तो फिर जमाखोरी और कालाबाजारी कैसे हुई? 


वहीं, पुलिस की तरफ से दलील देते हुए कहा गया कि एक तरफ पूरा विश्व कोरोना महामारी से प्रभावित है, तो दूसरी तरफ ये आरोपी उसका फायदा उठाने में लगे हैं और इसी के तहत ऑक्सीजन कंसंट्रटर महंगे दामों में बेच रहे हैं. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट अमूमन 10 से 20 हजार रुपये होता है, लेकिन अभी की परिस्थितियों का फायदा उठाकर इन्होंने इसे 70 हजार तक में बेचना शुरू कर दिया.


इस दौरान साकेत कोर्ट की तरफ से भी दिल्ली पुलिस की जांच को लेकर कई टिप्पणियां की गईं. कोर्ट ने कहा की अगर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट को रेगुलेट करने के लिए सरकार ने ही कोई नियम नहीं बनाया हुआ तो फ़िर आप बिजनेसमैन को कैसे टारगेट कर सकते हैं? अगर व्यापारी कमाने के लिए महामारी में कुछ कर रहा है तो वो अपराध की श्रेणी में कैसे आ सकता है? आखिर पुलिस क्या दिखाना चाहती है?


कोर्ट ने कहा कि ऐसे तो महामारी में शराब भी बेची जा रही है? क्योंकि उससे आर्थिक फ़ायदा होता है, लॉकडाउन में क्या बिज़नेस करना कोई अपराध है? कोर्ट ने पूछा कि अगर कोई व्यापारी बाहर से कोई सामान मंगाकर देश में बेच रहा है तो क्या ये गलत है?


इस दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने खुद तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद कर बाज़ार तक पहुंचाए नहीं और जो लोग बेच रहे थे, उनको पकड़ लिया. ऐसे में अब वो उपभोक्ता क्या करें, जिन्होंने 70 हज़ार रुपये देकर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ख़रीदे, जिससे कि वो अपनो की जान बचा सकें.


फिलहाल दिल्ली की साकेत कोर्ट कल इन आरोपियों की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी.


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